फ्यूज क्या होता है what is fuse in hindi ?
जिस तरह से सर्किट को circuit breaker, fault की condition
में अपने आप break करता है उसी प्रकार fuse भी एक प्रकार का सुरक्षात्मक
उपकरण है जो circuit के series में संयोजित करने पर short circuit, overloading की condition
में circuit को ब्रेक करता है।
फ्यूज की परिभाषा (Definition of fuse)
सामान्यत: Fuse एक धातु का छोटा-सा टुकड़ा होता
है जो circuit के श्रेणी क्रम में जुड़ा होता है यदि circuit में एक निश्चित मान से ज्यादा करंट flow होती तब fuse पिघल कर circuit को break कर देता है, fuse कहलाता है।
OR
“वह protective
device जो उच्च वैद्युत धारा के विरुद्ध केबिलों तथा उपकरणों की रक्षा के
लिये वैद्युत परिपथ के श्रेणी क्रम में संयोजित किया जाता है फ्यूज कहलाता है।”
CIRCUIT में FUSE लगाने के लाभ
·
यह heavy short circuit की स्थिति में बिना आवाज किये circuit को break करता है।
·
यह circuit को automatic ब्रेक करता है।
·
Fuse element के छोटे साइज circuit को break करने के लिये उपयुक्त होता है।
·
Operation time न्यूनतम (minimum) होता है।
फ्यूज किससे बनता है ? (Fuse Element Materials)
सामान्यत: Fuse
element के लिये
लेड, टिन, कॉपर, जिंक तथा सिल्वर प्रयोग किया जाता
है। कम current (10 A) के लिये टिन या लेड और टिन (Lead 37% + Tin 63%) का मिश्रण प्रयोग किया जाता है।
ज्यादा current के लिये copper या silver या इन दोनों का मिश्रण प्रयोग किया जाता है। सामान्यतः इस समय
ज्यादातर silver प्रयोग किया जाता है।
फ्यूजिंग फैक्टर (Fusing Factor) क्या है ?
“ किसी भी fuse
element के लिये minimum प्रगलन धारा तथा फ्यूज की
निर्धारित धारा के अनुपात को fuse factor कहते हैं। इसका मान हमेशा एक से
अधिक होता है।”
फ्यूज के प्रकार (Types of fuse)
वोल्टता के अनुसार
(i) निम्न
वोल्टता फ्यूज (Low voltage fuse)
(a) पुनर्तारीय प्ररूपी फ्यूज (Semi-enclosed
rewirable fuse)
(b) उच्च विदारण क्षमता वाले कारतूसी अथवा H.R.C. फ्यूज (High rupturing capacity type (H.R.C.) fuse
cartridge
(ii) उच्च वोल्टता फ्यूज (High voltage fuse)
(a) पुनर्तारीय प्ररूपी फ्यू ज (Semi-Enclosed Rewirable Fuse)
Rewirable fuse को Kitkat
type fuse के नाम से
जाना जाता है। इस फ्यूज में धातु तार का fuse element लगाया जाता है जिसे पिघल कर गिर
जाने पर replace किया जा सकता है।
इनमें fuse element प्राय: टिन लेपित ताम्र तार का
होता है जिसे fuse carrier (फ्यूज वाहक) में दो सम्पर्क सिरा स्क्रूओं के बीच कस दिया जाता
है।
उसके बाद फ्यूज कैरियर को fuse board पर स्थापित फ्यूज आधार में लगा
दिया जाता है।
Fuse base में भी स्थिर सम्पर्क सिरे होते हैं जिनका सम्बन्ध अलग-अलग क्रमश: outgoing तथा incoming
phase wire से होता
है। इस प्रकार fuse carrier तथा fuse base के सम्पर्क सिरे आपस में संयोजित होकर, fuse element की सहायता से सप्लाई सिरे को
परिपथ सिरे से संयोजित करते है।
लाभ (Advantages)
1)
इसे सावधानीपूर्वक स्विच ऑन की स्थिति में ही निकाला जा सकता
है तथा लगाया जा सकता है।
2)
Fuse
element को change करने में लगा cost बहुत कम होता है।
3)
ये कीमत में अपेक्षाकृत सस्ते होते हैं।
4)
इनकी संरचना simple होती है।
5)
पिघले हुए फ्यूज का स्थानान्तरण करने के बाद पुन: इसे काम में
लाया जा सकता है।
हानियाँ (Disadvantages)
(i) इस type के fuse की breaking capacity कम होती
है। अत: इन्हें high fault की स्थिति
में प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
(b) उच्च विदारक क्षमता वाले कारतूसी अथवा H.R.C. फ्यूज(High rupturing capacity type (H.R.C.) fuse cartridge)
इनका विदारक क्षमता 66 kV
से 500 MVA तक होती है। इसीलिये इन्हें
कारतसी प्रारूपी उच्च विदारक क्षमता वाले फ्यूज कहते हैं। इसका मुख्य विशेषता यह
है कि short circuit fault के अन्तर्गत एक निश्चित समय तक
उच्चतम धारा प्रवाह की क्षमता रखते हैं।
यदि इस निश्चित समय के अन्तर्गत, short circuit fault स्वत: ठीक हो
जाये तो fuse पिघलकर नष्ट नहीं होता है।
परन्तु यदि fault ठीक नहीं होता है तो fuse पिघलकर नष्ट हो जाता है। इस
प्रकार परिपथ में धारा का मान शून्य हो जाता है।
HRC FUSE के लाभ
(i) इसकी operation
speed उच्च होती है।
(ii) इसकी maintenance की
आवश्यकता नहीं होती है।
(iii) यह एक विश्वसनीय
सुरक्षात्मक उपकरण है।
(iv) ये fuse 2 से 800 amp तक की
धारा के लिये निर्धारित होते हैं।
High Voltage Fuse
अभी तक जो हमने कम वोल्टेज वाले फ्यूज पढ़े हैं उनकी विद्युत
क्षमता तथा सर्किट को ब्रेक करने की क्षमता कम होती है। अत: इन फ्यूजों को उच्च
वोल्टेज सिस्टम के लिए उपयोग नहीं करते हैं। उच्च वोल्टेज सिस्टम के लिए उपयोग में
आने वाले फ्यूज निम्न प्रकार है।
(i) Cartridge Type-
इस फ्यूज की संरचना कम वोल्टेज वाले कारतूस फ्यूज के समान ही है। इस फ्यूज के
डिजाइन में बदलाव करके हम इसे उच्च वोल्टेज सिस्टम के लिए उपयोग कर सकते हैं। जैसे
कि फ्यूज के element को helix form में डिजाइन करके उच्च वोल्टेज सिस्टम के लिए उपयोग कर सकते हैं
क्योंकि ऐसा करने से उच्च वोल्टेज सिस्टम में उत्पन्न होने वाले corona
effect से बचा जा
सकता है दूसरा दो फ्यूज तारों को समान्तर में लगाकर जिसमें एक कम प्रतिरोध का तार
(जैसे कि Silver Wire ) तथा दूसरा उच्च प्रतिरोध का तार (जैसे कि Tungsten
Wire)।
सामान्य अवस्था में कम प्रतिरोध वाला तार परिपथ की धारा को वहन
करेगा। fault स्थिति में कम प्रतिरोध वाला तार जल जायेगा तथा उच्च प्रतिरोध तार
परिपथ की धारा को एक समय के लिए controlled करेगा तथा कुछ समय उपरान्त उच्च
प्रतिरोध तार भी जलकर सर्किट को बन्द कर देगा।
उच्च वोल्टेज cartridge फ्यूज को 33 KV पर 8700A तक breaking
capacity के लिए
उपयोग किये जाते हैं। 6.6 KV पर 200 A के लिए तथा 11 KV पर 50 A Breaking Capacity के फ्यूज उपलब्ध है।
(ii) Liquid Type :
इन फ्यूजों के अन्दर carbon tetrachloride(कार्बन टेट्राक्लोराइड ) के solution(घोल) को उपयोग में लाया जाता है। इन फ्यूजों की बहुत अधिक range उच्च
वोल्टेज सिस्टम में उपलब्ध है। इन फ्यूजों को परिपथ में 100 A पर 132 KV के लिए
तथा 6100 A तक परिपथ
में उपयोग में लाया जा सकता है।
चित्र में Liquid types Fuse को दिखाया गया है। इस फ्यूज में
एक ग्लास ट्यूब होती है जिसके अन्दर carbon tetrachloride का solution
(घोल) भरा रहता
है तथा ट्यूब के दोनों सिरे brass cap के द्वारा sealed होते हैं।
फ्यूज तार का एक सिरा sealed होता है तथा दूसरा सिरा phosphor
bronz spiral spring द्वारा ग्लास ट्यूब के दूसरे सिरे से जुड़ा रहता है।
जैसे ही परिपथ के अन्दर धारा का मान अधिक होता है तो फ्यूज तार
जल जाता है तथा phosphor bronz spiral spring उस जले हुये फ्यूज तार को अपनी
तरफ खींच लेती है जिसके कारण आर्क तुरन्त बुझ जाती है।
hello दोस्तों इस पोस्ट में हमने आपको ''फ्यूज क्या होता है और कितने प्रकार का होता है |'' के बारे में सारी जानकारी दी है इसके अलावा अगर आपका कोई सवाल या सुझाव है तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें, धन्यवाद
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