शुक्रवार, सितंबर 9

INDUCTION MOTOR क्या है, संरचना कार्य विधि और उपयोग


INDUCTION MOTOR क्या है ?

  जब कभी भी किसी close circuit conductor(coil ) को रोटेटिंग मैगनेटिक फील्ड में रखते है तो कंडक्टर घुमने की कोशिश करता है |ऐसा प्रेरण(INDUCTION ) के कारण  होता है ,
अतः INDUCTION के सिद्धांत पर कार्य करने वाले मोटर को हम इंडक्शन मोटर कहते है 

इस पोस्ट में हम THREE PHASE INDUCTION MOTOR का –सिद्धान्त ,संरचना, कार्य बिधि और प्रकार के बारे में बिस्तार में जानेगे ,साथ ही इंडक्शन मोटर से सम्बंधित प्रश्न उत्तर भी देखेंगे 



इंडक्शन motor , AC MOTOR का ही एक प्रकार है इस लिए सबसे पहले ac motor के प्रकार पर एक नजर डालते है
ac motor




THREE PHASE INDUCTION MOTOR IN HINDI 


Principle of Induction Motor IN  HINDI 

जब कभी भी किसी close circuit conductor को रोटेटिंग मैगनेटिक फील्ड में रखते है तो कंडक्टर घुमने की कोशिश करता है |


Three Phase इंडक्शन मोटर की संरचना:-

Three फेज इंडक्शन मोटर निम्नलिखित दो अंग होते हैं

(1) Stator :-

Induction मोटर का स्टेटर, अल्टरनेटर के स्टेटर के सामान ही होता है। यह भाग सिलिकन इस्पात की गोल पत्तियों को संगठित करके बनाया जाता है। प्रत्येक पत्ती की मोटाई 0.3 मिमी से 0.65 मिमी तक हो सकती है।


भँवर धारा हानियों को कम करने के लिए प्रत्येक पत्ती पर वार्निश की पतली परतें चढ़ाकर विद्युतरोधित कर दिया जाता है। जब सभी पत्तियों को एक साथ पंच करके संगठित कर दिया जाता है तथा इन्हें मोटर फ्रेम से कस दिया जाता है।

 स्टेटर कोर में फेज वाइंडिंग के लिए अन्दर की परिधि पर खाँचे बने रहते हैं जिनमें वाइंडिंग को लगाया जाता है। स्टेटर में ये खाँचे अर्द्धखुले या पूर्ण खुले हुए हो सकते हैं।
इंडक्शन  मोटर स्टेटर


मोटर फ्रेम के साथ दो end प्लेटें बोल्टों द्वारा कसी होती हैं तथा end प्लेटों में बेयरिंग लगे होते हैं, जिसमें रोटर शाफ्ट घूमती है।


 स्टेटर में three फेज winding होती है जिसे थ्री फेज सप्लाई प्रदान की जाती है। स्टेटर एक निश्चित पोल  के लिए winding  किया जाता है।

 यदि मोटर 2 ध्रुवों वाली है तो उसकी गति 3000r.p.m. तथा यदि 4 ध्रुव की है तो उसकी गति 1500 r.p.m. होगी। इस प्रकार ध्रुवों की संख्या बढ़ाने से मोटर की गति कम की जा सकती है जिसे सूत्र Ns = 120f ∕ P द्वारा ज्ञात किया जा सकता है।

जहाँ :- Ns =सिंक्रोनस स्पीड
f = frequency
p = no of poll

जरुर देखे:--

🖝इंडक्शन मोटर स्टार्टर की पूरी जनकारी
🖝dc मोटर स्टार्टर क्या है ?


(2) रोटर Rotor

यह भी लेमिनेटेड कोर का बना होता है | इन रोटरों में अल्टरनेटर की तरह 3-फेज, दो तह की वितरित वाइंडिंग की जाती है। रोटर में उतने ध्रुव की ही वाइंडिंग की जाती है जितने ध्रुवों की वाइंडिंग स्टेटर में होती है।
इंडक्शन मोटर  रोटर
ROTOR



induction motor के रोटर कई प्रकार के होते है जिनके आधार पर मोटरों के नाम बदलते है जैसे –·

  •  squirrel single cage rotor
  •  squirrel dual cage rotor
  •  squirrel deep bar cage rotor
  •  wound rotor motor या स्लिप रिंग motor

    रोटर winding को आन्तरिक रूप से स्टार(🟃) में संयोजित किया जाता है। winding के शेष सिरों को शाफ्ट पर तीन परस्पर विद्युतरोधित स्लिप रिंगों पर जोड़ दिया जाता है।

induction motor के दुसरे पार्ट्स निम्नलिखित है


(1) बेयरिंग कवर (2) साइड कवर (3)बेयरिंग सील (4) बाल बेयरिंग (5) बाल बेयरिंग (6) कवर पंखा (7) पंखा कवर (8) टर्मिनल बॉक्स


induction motor का कार्यविधि Working Method :-

जब स्टेटर winding को three फेज सप्लाई से संयोजित किया जाता है तो स्टेटर winding से घूर्णीय चुम्बकीय क्षेत्र(रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड ) उत्पन्न होता है, जो सदैव सिंक्रोनस स्पीड से घूमता है। यह घूर्णीय चुम्बकीय क्षेत्र वायु अन्तराल को पार कर रोटर चालकों से जुड़ कर रोटर में बलाघूर्ण उत्पन्न करता है जिससे रोटर घूमने लगता है।


induction motor का अनुप्रयोग  कहा किया  जाता है ?:-


जहाँ उच्च प्रारम्भिक बलाघूर्ण की आवश्यकता होती है तथा मशीन को लोड सहित प्रारम्भ करना हो, जैसे लिफ्ट, आरा मशीन, लाइन शाफ्ट मिले इत्यादि में स्लिप रिंग Induction मोटरों का उपयोग किया जाता है।


INDUCTION MOTOR QUESTION ANSWER IN  HINDI 


प्रश्न 1. इंडक्शन मोटरों का नाम इंडक्शन मोटर क्यों पड़ा?
उत्तर - क्योंकि ये इंडक्शन के सिद्धांत पर काम करता हैं।

प्रश्न 2. मोटर की स्पीड किन-किन बातों पर निर्भर करती है?
उत्तर - फ्रीक्वेंसी और पोलों की संख्या पर।

प्रश्न 3. सिंक्रोनस-स्पीड और असली स्पीड (Rated Speed) से आप क्या समझते हैं? कौन सी स्पीड अधिक होती है?
उत्तर - रोटेटिंग मैगनेटिक फील्ड की स्पीड को सिंक्रोनस स्पीड कहते हैं और जिस स्पीड पर रोटर घूमता है वह असली स्पीड कहलाती है। सिंक्रोनस स्पीड अधिक होती है।


प्रश्न 4. स्लिप से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – सिंक्रोनस स्पीड और असली स्पीड के अंतर को स्लिप कहते है


प्रश्न 5. जब स्लिप एक हो जाए तो क्या होगा?
उत्तर - यह अवस्था मोटर स्टार्ट होने की है।


प्रश्न 6. यदि पोलों की संख्या दुगुनी कर दी जाए तो क्या होगा?
उत्तर - स्पीड आधी हो जाएगी।


प्रश्न 7. एक 10 H.P. 3 फेज डेल्टा कनेक्टिड मोटर के मेन स्विच पर कितने एम्पियर का फ्यूज लगेगा?
उत्तर – एच.पी. के 3 गुने के बराबर लगता है।


प्रश्न 8. स्टार में एक मोटर डेल्टा में वोल्टेज का कौन सा भाग लेती है?
उत्तर – 58%


प्रश्न 9. स्लिपरिंग मोटर कहाँ-कहाँ काम में लाई जाती है?
उत्तर - जहाँ अच्छा स्टार्टिंग टार्क चाहिए।


प्रश्न10. अधिक H.P. की मोटर को स्टार्ट करने के लिए स्टार-डेल्टा स्टार्टर क्यों लगाते हैं?
उत्तर - (1 )अधिक स्टार्टिंग करंट और लाइन वोल्टेज के Disturbance से बचने के लिए।
(2  )सप्लाई वोल्टता की गिरावट को रोकने के लिए


प्रश्न11. ए.सी. मोटरों के लिए स्टार्टरों के नाम तथा जिन H.P.तक लगते हैं नाम बताओ।
उत्तर - 1 डायरेक्ट आन लाइन स्टार्टर 5 H.P. तक।
1. स्टार डेल्टा स्टार्टर - 15 H.P. तक।
2. आटो ट्रांसफार्मर स्टार्टर - 25 H.P. तक।
3. रेजिस्टैंस टाइप स्टार्टर - केवल स्लिपरिंग मोटरों के लिए।


प्रश्न 12. स्टार डेल्टा स्टार्टर शुरू में मोटर को कितना करंट और वोल्टेज भेजता है?
उत्तर – पूरे वोल्टेज का 59% और डाइरेक्ट स्टार्टिंग करंट का 1/3 हिस्सा।


hello दोस्तों इस पोस्ट में हमने आपको '' इंडक्शन मोटर क्या है  (INDUCTION MOTOR in hindi  )'' के बारे में सारी जानकारी दी है इसके अलावा अगर आपका कोई सवाल या सुझाव है तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें, धन्यवाद

इसे भी देखे :-

DC MOTOR क्या है ? इसका कार्य सिद्धांत, संरचना ,भाग
अल्टरनेटर क्या होता है ? 50Hz की आवृति कैसे उत्पन्न की जाती है ?

गुरुवार, सितंबर 8

ट्रांसफार्मर क्या होता है ?| Transformer in Hindi | Types of Transformers in Hindi


ट्रासफार्मर क्या होता है ?

ट्रांसफार्मर एक स्थिर विधुत मशीन है जो प्रत्यावर्ती धारा के वोल्टेज को परिवर्तित करने के काम आती है जिसकी आवृत्ति समान रहती है।




ट्रांसफार्मर का मूल सिद्धान्त क्या है?  (BASIC PRINCIPLE OF TRANSFORMER in hindi)

      ट्रांसफार्मर एक ऐसी स्थैतिक मशीन (STATIC MACHINE) है जो AC  के वोल्टेज व् धारा  को समान आवृत्ति पर परिवर्तित (TRANSFER) करने के काम आती है, 

अर्थात् ट्राँसफार्मर- निम्न वोल्टता वाली उच्च धारा  वाली   AC धारा  को उच्च वोल्टता की निम्न  धारा में, 
 अथवा उच्च वोल्टता की निर्बल धारा को निम्न तोल्टता वाली उच्च  विद्युत धारा में दी हुई आवृत्ति के समान आवृत्ति पर  करता है ।

नोट : ट्रांसफार्मर ac करंट के केवल वोल्टेज व् धारा  में परिवर्तन करता है आवृति में परवर्तन नहीं करता है 



Transformer in Hindi

ट्राँसफार्मर का कार्य सिद्धान्त स्थैतिक प्रेरण सिद्धान्त (Static induction principle) पर आधारित है।
सधारणत: एक ट्रॉसफार्मर ऐसे चुम्बकीय परिपथ का बना होता है जिसमें दो विशिष्ट कुण्डलन (WINDING) होती है जिन्हें प्राथमिक कुण्डलन (PRIMARY WINDING) तथा द्वितीयक कुण्डलन (SECONDARY WINDING) कहते हैं।


जब प्राथमिक कुण्डलन को प्रत्यावर्ती धारा सप्लाई (A.C. SUPPLY) से जोड़ दिया जाता है तो पटलित क्रोड lamineted core में प्रत्यावर्ती फ्लक्स(alternating flux) स्थापित होता है 

तथा इस फ्लक्स के SECONDARY WINDING से सहलग्न (LINKING) होने पर द्वितीयक कुण्डलन में एक प्रत्यावर्ती वि० वा० बल (E.M.F.) प्रेरित होता है। 
यह क्रिया दोनों कुण्डलनों के बीच प्रेरण(induction) के कारण होती है।


प्रत्यावर्ती फ्लक्स के कारण प्राथमिक कुण्डलन में भी स्वप्रेरण (SELF INDUCTION) के कारण वि० वा० बल प्रेरित होता है।


यदि फ्लक्स दोनों कुण्डलनों के प्रत्येक वर्तन से पूर्ण रूप से सम्बद्ध होता है तो प्रेरित वि, वा, बल का मान प्रत्येक क्षण प्रत्येक वर्तन (turn)के बिल्कुल समान होगा।
इस प्रकार SECONDARY WINDING में प्रेरित वि० वा० बल PRIMARY WINDING में प्रयुक्त वोल्टता (APPLIED VOLTAGE) के बिल्कुल विपरीत फेज में होगा ( कुण्डलनों के प्रतिरोध उपेक्षित मानते हुए)।

 द्वितीयक कुण्डलन(वाइंडिंग) में प्रेरित विधुत वाहक बल द्वितीयक कुण्डलन के वर्तनों (तारो के लपेटो )के संख्या पर निर्भर करता है।

जब द्वितीयक कुण्डलन में वर्तनों की संख्या प्राथमिक कुण्डलन से अधिक होगी जब द्वितीयक कुण्डलन में प्रेरित वि० वा० बल प्राथमिक कुण्डलन में प्रयुक्त वोल्टता से अधिक होगा।

इन्हें भी देखे≫ 




ट्रांसफार्मर के मुख्य भाग क्या क्या है (Main Parts of Transformer)



ट्रांसफार्मर के निम्नलिखित मुख्य भाग होते है

(a) कोर (Core) -

कोर का मुख्य कार्य पोल फ्लक्स के लिए चुम्बकीय पथ प्रवाहित करना है एवं ट्रांसफार्मर वाइंडिंग को सहायता प्रदान करना है।
transformer core


(b) कुण्डलन (Windings) -

ट्रांसफार्मर वाइंडिंग निम्नलिखित दो तरह की होती है


  • प्राइमरी वाइंडिंग
  • सेकण्ड्री वाइंडिंग ।


यह मुख्यत: conductor(तार) होते हैं जो सबसे अच्छा चालक एवं सस्ता हो उसी चालक से वाइंडिंग की जाती है।
ट्रांसफार्मर वाइंडिंग मुख्य रूप से वाइंडिंग टर्न पर निर्भर करती है। प्राइमरी वाइंडिंग वह है जिस पर हम सप्लाई वोल्टेज देते हैं। तथा सेकण्ड्री वाइंडिंग वह है जिस पर हम लोड लगाते हैं।

(c) विद्युतरोधन (Insulation)–

इंसुलेशन वह है जिससे धारा प्रवाहित नहीं होती। विद्युतरोधन का उपयोग ट्रांसफार्मर में इसलिए किया जाता है कि दोनों वाइंडिंग को एक-दूसरे से विद्युतरोधित किया जा सके जो विभिन्न परतों के मध्य किया जाता है।



(D) टैंक (Tank) –

ट्रांसफार्मर टैंक वह है जिसमें ट्रांसफार्मर को रखा जाता है। टैंक का उपयोग शीतलीकरण के लिए किया जाता है और टैंक में संवाहन नलिकाएँ लगाई जाती हैं जो वायु का संरक्षण कर सके एवं तेल शीतलीकरण में बाहर से खोखली नलिकाएं लगाई जा सकें तथा टैंक में ट्रांसफार्मर तेल भरा जा सके।


(e) टर्मिनल तथा टर्मिनल बॉक्स (Terminal and Terminal Box)–



टर्मिनल अधिकतम पीतल के बनाए जाते। हैं तथा इनका उपयोग प्राइमरी तथा सेकण्ड्री टर्मिनलों या टर्मिनल बॉक्स के सिरों के लिए किया जाता है। टर्मिनल बॉक्स को टैंक के ऊपर लगाया जाता है।


(f) ब्रीदर (Breather) —

यह ट्रांसफार्मर को श्वास लेने के लिए लगाया जाता है और इससे हवा फिल्टर होकर अन्दर प्रवेश करती है और यह हवा में उपस्थित नमी एवं धूल को फिल्टर करता है


ट्रांसफार्मर कितने प्रकार का होता है Types of Transformers in Hindi


ट्रांसफार्मर को संरचना के आधार पर मुख्यतः निम्नलिखित तीन प्रकार में विभाजित किया जाता हैं

(1) कोर प्रारूपी (Core type)
(2) शैल प्रारूपी (Shell type)
(3) बैरी प्रारूपी (Berry type)


कार्य के आधार पर ट्रांसफार्मर कितने प्रकार का होता है ?


(1) Step-up Transformer
(2) Step-down Transformer

विद्युत सप्लाई के आधार पर ट्रांसफार्मर कितने प्रकार का होता है ?

(Classification of Transformers based on Electrical Supply)

(1) एकल फेजी (कलीय) ट्रांसफार्मर (Single Phase Transformer)
(2) तीन फेजी (कलीय) ट्रांसफार्मर (Three Phase Transformer)



Core type Transformer-

कोर टाइप ट्रांसफार्मरों में वाइंडिंग को ट्रांसफार्मरों के बाहरी कोर पर किया जाता है या कोर वाइंडिंग से ढके होते हैं। इसमें "L" आकार के कोर का प्रयोग करते हैं और कोर को आयताकार के रूप में बनाया जाता है। वाइंडिंग बेलनाकार, अण्डाकार या आयताकार होती है।
Core type transformer
Core type transformer

Shell type Transformer–

शैल टाइप ट्रांसफार्मरों के कोर को E टाइप के कोर से बनाया जाता है। इसके प्राइमरी तथा सेकण्ड्री वाइंडिंग को अलग करके सैंडविच की तरह रखा जाता है। इसकी वाइंडिग बाहरी कोर से ढकी होती है। इसकी वाइंडिंग केन्द्रीय पाद (central limb) पर की जाती है। इनमें दो चुम्बकीय परिपथ होते हैं। इसलिए इसे शैल टाइप कहते हैं। |
Shell type Transformer
(Shell type)





Berry type Transformer–

बैरी टाइप ट्रांसफार्मरों में केवल एक वाइंडिंग होती है पर इसके कोर को इस प्रकार व्यवस्थित किया जाता है कि फ्लक्स प्रवाह के कई रास्ते हो। इसकी वाइंडिंग को बेलनाकार या वृत्ताकार रूप में रखा जाता है।
Berry type Transformer

क्या आप जानते है?
👉synchronous motor क्या है ,कैसे स्टार्ट होता है

ट्रांसफार्मर से सम्बन्धी सभी प्रश्नों के उत्तर

विशेष प्रकार के ट्रांसफार्मर ,जिनके बारे में आपको जरुर जानना चाहिए

DC मोटर स्टार्टर (DC मोटर को कैसे स्टार्ट किया जाता है ? )


कार्य के आधार पर ट्रांसफार्मरों के प्रकार

(1) उच्चायी ट्रांसफार्मर (Step-up Transformer)
(2) अपचायी ट्रांसफार्मर (Step-down Transformer)


(1 ) Step-up Transformer—

वह ट्रांसफार्मर जो प्राथमिक वोल्टेज या धारा को बढ़ाकर लोड की तरफ सप्लाई देता है,उच्चायी ट्रांसफार्मर कहलाता है या दूसरे शब्दों में वह ट्रांसफार्मर जो निम्न वोल्टेज या धारा को उच्च वोल्टेज या धारा में परिवर्तित करता है, Step-up Transformer कहलाता है।


Step-up Transformer

Step-up Transformer





(2) Step-down Transformer—

वह ट्रांसफार्मर जो प्राथमिक वोल्टेज या धारा को घटाकर लोड की तरफ सप्लाई देता है, उसे अपचायी ट्रांसफार्मर कहते हैं या दूसरे शब्दों में “वह ट्रांसफार्मर जो उच्च वोल्टेज या धारा को निम्न वोल्टेज या धारा में परिवर्तित करता है, Step-down Transformer कहलाता है।
Step-down Transformer

Step-down Transformer



विद्युत सप्लाई के आधार पर ट्रांसफार्मर के प्रकार

(Classification of Transformers based on Electrical Supply)

(1) एकल फेजी (कलीय) ट्रांसफार्मर (Single Phase Transformer)
(2) तीन फेजी (कलीय) ट्रांसफार्मर (Three Phase Transformer)




(1) Single Phase Transformer-

सिगल फेज ट्रांसफार्मर वहट्रांसफार्मर है जिसके इनपुट तथा आउटपुट दोनों सिरों पर एकल (single) फेज हो।

single phase transformer


Three Phase Transformer)

त्रिफजा ट्रांसफार्मर वह ट्रांसफार्मर है जिसके इनपट तथा आउटपुट दोनों सिरों पर तीन फेज-तीन चालक या तीन फेज-चार चालक हो।
three phase transformer
Three Phase Transformer



hello दोस्तों इस पोस्ट में हमने आपको ''TRANSFORMER IN HINDI | TRANSFORMER क्या है ?'' और types of transformer in hindi के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी है इसके अलावा अगर आपका कोई सवाल या सुझाव है तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें, धन्यवाद

रविवार, फ़रवरी 27

transformer objective questions and answers in hindi | transformer question answer with pdf

Transformer question and Answer



प्रश्न 1 –क्या ट्रांसफार्मर को दिष्ट धरा (DC) पर प्रयोग किया जा सकता है ?

उतर- ट्राँसफार्मर को दिष्ट धारा पर नहीं लगाया जा सकता । यदि ट्रांसफार्मर की प्राथमिक कुण्डलन( winding ) को दिष्ट धारा से सम्बद्ध कर दिया जाये तो कुण्डलन में फ्लक्स तो उत्पन्न होगा लेकिन वह बढ़ेगा-घटेगा नहीं बल्कि अपरिवर्तनशील (unchanged) रहेगा तथा इसी कारण द्वितीय कुण्डलन में कोई वि० वा० बल प्रेरित नहीं होगा (सप्लाई का स्विच खोलते समय, थोड़ी देर के अलावा) ।

 इस प्रकार दिष्ट धारा वोल्टता को ट्राँसफार्मर की सहायता से घटाया-बढ़ाया नहीं जा सकता।
 इसके विपरीत ट्राँसफार्मर को दिष्ट धारा वोल्टता से जोड़ने पर क्षति पहुँच सकती है। क्योंकि ऐसा करने से ट्रॉसफार्मर के प्राथमिक कुण्डलन में कोई पश्चगामी (lagging) वि० वा० बल प्रेरित नहीं होगा जिसके कारण प्राथमिक कुण्डलन प्रदाय (Supply) से अधिक मात्रा में धारा लेकर गर्म हो जायेगी तथा प्राथमिक कुण्डलन जल जायेगी

transformer objective questions and answers in hindi


 प्रश्न 2 ट्रॉंसफार्मर का निर्धारण (rating) सदैव KVA ( किलो वोल्ट ऐम्पियर में लिखा जाता है, जबकि मोटरों का K.W. या H.P में ,कारण दीजिये।

उत्तर- इसका कारण यह है कि ट्राँसफार्मर का शक्ति गुणक (power factor) सदैव उस पर लगी मशीनों या अन्य लोड पर निर्भर करता है जबकि प्रेरण मोटरों (इंडक्शन मोटर )का निर्धारण सदैव K.W. या H.P में लिखा जाता है क्योंकि उनका शक्ति गुणक स्वयं उनके अपने लोड पर निर्भर करता है |




प्रश्न 3- क्या टाँसफार्मर निर्धारित वोल्टता पर निर्धारित आवृत्ति से उच्च या निम्न आवृत्ति पर चलाया जा सकता है ?


उत्तर- ट्राँसफार्मर को निर्धारित आवृत्ति से उच्च आवृत्ति पर चलाया जा सकता है, लेकिन इस स्थिति में क्रोड(core) में फ्लक्स घनत्व कम होगा तथा चुम्बकन धारा भी कम होगी, इससे उच्च आवृत्ति पर समान KVA आउट आउट के लिये ट्रॉसफार्मर का भार कम तथा आकार छोटा कर सकते है

इसके विपरीत ट्राँसफार्मर को निर्धारित वोल्टता पर निर्धारित अवृत्ति से कम आवृत्ति पर नहीं चलाना चाहिये । निम्न आवृत्ति पर क्रोड अति संतृप्त हो जायेगा, जिससे चुम्बकन धारा अत्यधिक हो जायेगी तथा इस प्रकार लोह हानियाँ बढ़ जायेगी,क्रोड अधिक गर्म होकर कुण्डलन( WINDING) तक को जला देगी ।

इसके लिये यदि कभी आवृत्ति की कमी करना चाहें तो उसी अनुपात में प्रयुक्त वोल्टता को भी कम करना चाहिये ताकि फ्लक्स घनत्व समान रहे । ऐसी स्थिति में लोह हानियाँ समान होगी लेकिन वोल्टता कम होने पर ट्राँसफार्मर की आउटपुट भी घट जायेगी।


ट्रांसफार्मर संक्षिप्त प्रश्नोत्तर

ट्रांसफार्मर question and answer :-

 प्रश्न 1. ट्रांसफार्मर के बारे में आप क्या समझते हैं।

उत्तर - यह स्थिर रहने वाली एक मशीन है जो वोल्टेज को कम या अधिक करने के काम आती है।


प्रश्न 2. ट्रांसफार्मर किस नियम पर कार्य करता है?

उत्तर -
म्यूच्यूअल इंडक्शन पर।


प्रश्न 3. ट्रांसफार्मर में मुख्य भाग कौन से हैं?

उत्तर - प्राइमरी वाइंडिंग, सैकेंड्री वाइंडिंग, कोर


प्रश्न 4. उस वाइंडिंग का नाम क्या है जिसमें सप्लाई दी जाती है?
उत्तर - प्राइमरी वाइंडिंग


प्रश्न 5. जिससे सप्लाई ली जाती है उस वाइंडिंग का क्या नाम है?

उत्तर -
सैकेंड्री वाइंडिंग।


प्रश्न 6. लैमिनेटिड कोर का क्या फायदा है?

उत्तर -
कोर में EDDY CURRENT LOSS कम करता है।


प्रश्न 7. कोर टाइप ट्रांसफार्मर में मैगनेटिक पाथ कितने होते हैं?

उत्तर -
एक।


प्रश्न 8. शैल टाइप ट्रांसफार्मर में चुम्बकीय रास्ते कितने हैं?

उत्तर -
दो।


प्रश्न 9.ट्रांसफार्मर अनुपात से आप क्या समझते हो?

उत्तर - E2/E1=N2/N1=I1/I2



प्रश्न 10. ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग में पैदा होने वाली ई०एम०एफ० का सूत्र बताओ।

उत्तर - E = 4.44Φmaxf N Volts


प्रश्न 11. ट्रांसफार्मर में ट्रांसफार्मर आयल क्यों भरा जाता है?

उत्तर -
इंसूलेशन बढ़ाने व वाइंडिंग को ठंडी करने के लिए।


प्रश्न 12. ट्रांसफार्मर आयल के फ्लैश प्वाइंट से आप क्या समझते हैं?

उत्तर - ऑयल वाष्प का इग्नीशन बिन्दु


प्रश्न 13. ट्रांसफार्मर आयल के फ्लैश प्वाइंट से आप क्या समझते हैं?

उत्तर -
वह तापक्रम जिस पर तेल आग पकड़ता है।


प्रश्न 14. ट्रांसफार्मर में ब्रीथर क्यों फिट किया जाता है?

उत्तर -
ट्रांसफार्मर को शुष्क हवा देने के लिए।


प्रश्न 15. ट्रांसफार्मर के ऊपर कंजरवेटर क्यों लगता है?

उतर- जब तेल गर्म होकर फैलता है तो उसको यह जगह देता है।


प्रश्न 16. ब्रीथर में क्या मैटीरियल भरा जाता है।

उत्तर -
कैल्शियम क्लोराइड या सिलिका जैली*


प्रश्न 17. एमरजेंसी रिलीज क्या होती है?

उत्तर - ट्रांसफार्मर के ऊपर एक पाइप होती है जो ट्रांसफार्मर को शार्ट सर्किट के समय फटने से बचाता है।


प्रश्न 18. नो लोड फ्लक्स और लोड फ्लक्स में क्या संबंध है?

उत्तर -
जो फलक्स बिना लोड पर होता है वही लोड पर होता है।


प्रश्न 19.  ट्रांसफार्मर में नो लोड करंट के क्या कार्य हैं?

उत्तर - फ्लक्स पैदा करती है तथा आयरन व कॉपर लॉस पूरे (Compensate) करती है।


प्रश्न 20. जब सैकेंड्री साइड पर लोड बढ़ाया जाता है तो प्राइमरी पर क्या असर होता है?

उत्तर -
प्राइमरी में करंट बढ़ जाता है।


प्रश्न 21. आयरन लॉस मालूम करने के लिए कौन सा टैस्ट किया जाता है?

उत्तर -
ओपन सर्किट टैस्ट।


प्रश्न 22. कॉपर लॉस मालूम करने के लिए कौन सा टैस्ट किया जाता है?

उत्तर -
शार्ट सर्किट टैस्ट।।


प्रश्न 23. ओपन सर्किट टैस्ट में कॉपर लॉस क्यों छोड़ देते हैं?

उत्तर -
नो लोड करंट के कम होने के कारण।


प्रश्न 24, शार्ट सर्किट टैस्ट में आयरन लॉस क्यों छोड़ देते हैं?

उत्तर -
क्योंकि प्राइमरी वाइंडिंग में बहुत कम वोल्टेज होती है और आयरन लॉस वोल्टेज (फ्लक्स) के समानुपाती होते हैं।


प्रश्न 25, आटो ट्रांसफार्मर लो वोल्टेज पर ही क्यों प्रयोग किए जाते हैं?

उत्तर -
क्योंकि प्राइमरी और सैकेंड्री एक ही वाइंडिंग की होती हैं।


प्रश्न 26. आटो ट्रांसफार्मर के मुख्य लाभ क्या हैं?

उत्तर -
कॉपर (तांबे) की बचत।


प्रश्न 27. सी०टी० तथा पी०टी० से आप क्या समझते हैं?

उत्तर -
सी०टी० करंट ट्रांसफार्मर को कहते हैं जो कि अधिक करंट नापने के काम आता है। पी०टी० (पोटेंशियल ट्रांसफार्मर)को कहते हैं जोकि अधिक वोल्टेज (H.T. पर) नापने के काम आता है।


प्रश्न 28. करंट व वोल्टेज की सीमा बताओ जिससे ऊपर सीटी व पी०टी० प्रयोग करते हैं?

उत्तर - 60 A, 750 V

प्रश्न 29.  सी ०टी० से एम्पियर मीटर अलग करते समय क्या-क्या सवधानियाँ रखनी पड़ती हैं?

उत्तर -
सैकेंड्री शार्ट होनी चाहिए।



Transformer mcq in hindi

निम्नलिखित प्रश्नों में से सही उत्तर का चयन कीजिए

1. एक ट्रांसफार्मर की प्राइमरी और सेकेन्ड्री वोल्टेजों के बीच फेज अन्तर होता है

(a) 90°
(b) 0o
(c) 180° ✔
(d) 30° 60° के मध्य

2. किसी ट्रांसफार्मर की दक्षता ज्ञात करने के लिए आउटपुट-इनपुट नापने वाली विधि कठिन होती है क्योंकि

(a) आउटपुट sinusoidal होती है और नापी नहीं जा सकती।
 (b) ट्रांसफार्मर की दक्षता सामान्यता बहुत अधिक होती है और इसलिए बहुत शुद्ध नापने की आवश्यकता होती है।
 (c) हानियाँ असामान्य रूप से अधिक होती है।
(d) आउटपुट इनपुट की अपेक्षा आउट ऑफ फेज होती है।

3. एक ट्रांसफार्मर के फुल लोड आयरन लॉस 900 W और कॉपर लॉस 1600 W है। कितने % लोड पर ट्रांसफार्मर अधिकतम दक्षता देगा?

 (a) 100%
(b) 50%
 (c) 75%
 (d) 90%

4. ट्रांसफार्मरों को समानान्तर में चलाने के लिए कौन-सी अवस्था आवश्यक है?

 (a) इनकी kVA रेटिंग समान होनी चाहिए।
(b) इन्हें समान फ्रीक्वेंसी पर चलाना चाहिए।
(c) इनकी वोल्टेज रेटिंग लोड शेयरिंग के अनुपात अनुसार होनी चाहिए
(d) इनकी ट्रान्सफॉर्मेशन अनुपात भार साझेदारी के अनुपात अनुसार होनी चाहिए

 5. ट्रांसफार्मर के ब्रीदर में प्रयुक्त रसायन

 (a) नमक
(b) पानी
(C) खनिज कूल
(d) सिलिका जल

 6. ट्रांसफार्मरों में कौन-सी हानियाँ लोड के साथ परिवर्तित होती हैं?

(a) कॉपर हानियाँ
(b) कोर हानियाँ
(C) ऐडी करेन्ट हानियाँ
(d) हिस्टेरिसिस हानियाँ

7. ट्रांसफार्मर के किस भाग में सबसे अधिक गर्मी उत्पन्न होती है?

(a) कोर
(b) फ्रेम
(C) आयल
(d) वाइंडिंग

 8. यदि एक ट्रांसफार्मर के कोर में फ्लक्स घनत्व को बढ़ा दिया जाए तो

(a) ऐडी करेन्ट हानियाँ कम होंगी
(b) सेकन्ड्री साइड की वेव का आकार गड़बड़ा जाएगा।
(c) ट्रांसफार्मर का आकार कम किया जा सकता है ।
(d) सेकेन्ड्री वाइंडिंग की फ्रीक्वेंसी परिवर्तित हो जाएगी

9. ट्रांसफार्मर की प्राइमरी और सेकेन्ड्री क्वाइलों में सदैव

(a) तार का एक ही साइज होता है
(b) फेरों की संख्या अलग-अलग होती है।
(c) मैग्नेटिक सर्किट एक ही होता है
(d) मैग्नेटिक सर्किट अलग-अलग होता है।

10. ट्रांसफार्मर पर ओपन सर्किट टेस्ट करने से हमें

(a) कॉपर हानियाँ प्राप्त होती हैं।
(b) ऐडी करेन्ट हानियाँ प्राप्त होती हैं।
(c) हिस्टेरिसिस और ऐडी करेन्ट हानियाँ का योग प्राप्त होता है।
(d) हिस्टेरिसिस हानियाँ प्राप्त होती हैं।

11. किसी ट्रांसफार्मर में अधिकतम दक्षता प्राप्त करने की दशा होती है

(a) कॉपर हानियाँ = आयरन हानियाँ
(b) कोर हानियाँ = हिस्टेरिसिस हानियाँ
(C) हिस्टेरिसिस हानियाँ = ऐडी करेन्ट हानियाँ
(d) कुल हानियाँ = x कॉपर हानियाँ

12. ट्रांसफार्मर की ब्रीदर का कार्य होता है

(a) ट्रांसफार्मर ऑयल को फिल्टर करना है।
(b) ठण्डी हवा का प्रबन्ध करना है।
(C) कूलिंग ऑयल को ऑक्सीजन प्रदान करना है।
(d) जब बाहर से हवा ट्रांसफार्मर में प्रवेश करे तब हवा से नमी को सोखना है।

13. ट्रांसफार्मर का e.m.f. मान किस पर निर्भर करता है?

(a) फ्रीक्वेंसी, टर्नो की संख्या और फ्लक्स के बराबर
(b) टर्नो की संख्या के वर्ग और फ्रीक्वेंसी के बराबर
(c)  टर्नो  की संख्या और फ्रीक्वेंसी के वर्ग के बराबर
(d)  टर्नो  की संख्या, फ्रीक्वेंसी और फ्लक्स के वर्ग बराबर

14. स्टेप, डाउन ट्रांसफार्मर में प्राइमरी वाइंडिंग में  टर्नो  की संख्या, सेकेन्ड्री वाइंडिंग में  टर्नो  की संख्या की अपेक्षा

(a) कम होंगे।
(b) अधिक होंगे।
(C) बराबर होंगे
(d) एक टर्न कम होगा


pdf  download करने  के लिए क्लिक करे 


उत्तरमाला 1. (c), 2. (b), 3. (c), 4. (b), 5. (d), 6. (a), 7. (d), 8. (c), 9. (C), 10. (C), 11. (a), 12. (d), 13. (a),  14. (b)

इसे  भी देखे