रविवार, नवंबर 29

synchronous motor in hindi


SYNCHRONOUS MOTOR


इस पोस्ट में हम synchronous motor की संरचना ,कार्य सिधांत व उपयोय के बारे में जानेये

संरचना Construction of synchronous motor:-


ऑल्टरनेटर व सिंक्रोनस मोटर की संरचना लगभग एक समान होती है और सिंक्रोनस ऑल्टरनेटर को भी सिंक्रोनस मोटर की तरह से चलाया जा सकता है। उक्त दोनों ही प्रकार की मशीनों में केवल ऊर्जा परिवर्तन का ही विशेष अन्तर होता है, जो सम्बन्धित मशीन के कार्य-सिद्धान्त (working principle) पर निर्भर करता है।

synchronous motor in hindi



सिंक्रोनस मोटरों में अति उच्च गति वाले दो पोल(N व S ) वाले रोटर(cylindrical rotors) होता हैं, जिनके उत्तेजन(चुम्बकित करना, जिससे N व S पोल बने) हेतु, slip rings द्वारा dc वोल्टता प्रदान की जाती है


synchronous motor stater



सिंक्रोनस मोटरों के स्टेटर में 3 फेज सप्लाई दी जाती है

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सिंक्रोनस मोटर का  कार्य-सिद्धान्त Working Principle of synchronous motor
:-


चित्र में दो पोल, 3 फेज सिंक्रोनस मोटर प्रदर्शित की गई है। इसकी 3 फेज, दो पोल स्टेटर वाइंडिंग (stator winding) में जब थ्री फेज सप्लाई दी जाती है, तो स्टेटर से घूर्णी चुम्बकीय क्षेत्र (rotating magnetic field) उत्पन्न होता है, जो क्लॉक वाइज डाइरेक्शन में सिंक्रोनस गति से घूमता है।(N=120f/P)
Working Principle of synchronous motor




इस समय स्टेटर के परिणामी धनात्मक स्पंद से उत्तरी पोल N, तथा परिणामी ऋणात्मक स्पंद से दक्षिणी पोल S, उत्पन्न होता है। जब वाउण्ड रोटर में डी०सी० सप्लाई दी जाती है, तो रोटर में उत्तरी N तथा दक्षिणी S चुम्बकीय ध्रुवें उत्पन्न हो जाती हैं। रोटर की इन N व S चुम्बकीय ध्रुवों पर स्टेटर के घूर्णी चुम्बकीय क्षेत्र का प्रभाव पड़ता है।

स्टेटर और रोटर दोनों को सप्लाई 
क्यों  दी जाती है ?जानने के लिए पूरा पढना पड़ेगा

सिंक्रोनस मोटर के स्टार्ट करने का मूल सिधान्त:-


उर्युक्त चित्र में प्रदर्शित स्थिति के अनुसार:---

माना कि किसी क्षण पर स्टेटर पर उत्तरी पोल Ns जो स्थिति A पर है, रोटर के उत्तरी पोल N को विकसित करता है, तो रोटर एन्टि क्लॉक वाइज डाइरेक्शन में घूमने के लिए प्रवृत्त (tends to rotate) होता है; परन्तु जड़त्व (inertia) के कारण, रोटर शीघ्र नहीं घूम पाता। अर्थात् रोटर के घूमने में कुछ समय लगता है।

रोटर घूमने ही वाला था कि तब तक T/2 समय समाप्त हो जाता है; अत: अर्द्ध-चक्र (half cycle) के बाद, स्टेटर की चुम्बकीय पोल परिवर्तित हो जाती है। अर्थात् स्टेटर में उत्तरी पोल Ns के स्थान A पर पोल Ss सिन्क्रोनस स्पीड से घूमकर आ जाता है और स्टेटर तथा रोटर के ध्रुवों में आकर्षण बल कार्य करने लगता है, जो रोटर को क्लॉकवाइज डाइरेक्शन, अर्थात् विपरीत दिशा में घूमने के लिए प्रवृत्त (tends to rotate) करता है;

परन्तु जड़त्व के प्रभाव से रोटर पुन: शीघ्रता से घूमना आरम्भ नहीं कर पाता, तब तक पुनः अग्रिम स्थिति लागू हो जाती है। इस प्रकार मोटर के अन्दर उत्पन्न प्रत्यावर्ती बलाघूर्ण(घुमाने वाला बल alternating torque) के कारण, रोटर किसी भी दिशा में नहीं घूमता अपितु स्थिर स्थिति (standstill condition) में ही रहता है।
Working Principle of synchronous motor with image




यदि किसी बाह्य बल (external prime mover) द्वारा रोटर को तुल्यकालिक गति(N=120f/P) के निकट तक घुमा दिया जाए और इसके बाद रोटर में डी०सी० सप्लाई देकर N तथा S चुम्बकाय पोल उत्पन्न किए जाएं, तो स्टेटर तथा रोटर के विपरीत पोल परस्पर आकर्षित हो जाएगा और मोटर, तुल्यकाली गति पर चलने लगेगी। इसके बाद बाह्य बल(external prime mover) को पृथक किया जा सकता है।

synchronous motor उपयोग-

ये मोटरें उन फैक्ट्रियों में पावर फैक्टर बढ़ाने के लिए लगती हैं, जहाँ पर कई इंडक्शन मोटरें लगी रहती हैं, जिससे पावर फैक्टर कम रहता है। ये रबर मिलों, खानों और बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों में मैकेनिकल पावर के लिए भी लगती हैं।

सिंक्रोनस मोटर व इंडक्शन मोटर में क्या अंतर है ?

सिंक्रोनस मोटर में hunting  क्या होता है ?


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