रविवार, फ़रवरी 27

transformer objective questions and answers in hindi | transformer question answer with pdf

Transformer question and Answer



प्रश्न 1 –क्या ट्रांसफार्मर को दिष्ट धरा (DC) पर प्रयोग किया जा सकता है ?

उतर- ट्राँसफार्मर को दिष्ट धारा पर नहीं लगाया जा सकता । यदि ट्रांसफार्मर की प्राथमिक कुण्डलन( winding ) को दिष्ट धारा से सम्बद्ध कर दिया जाये तो कुण्डलन में फ्लक्स तो उत्पन्न होगा लेकिन वह बढ़ेगा-घटेगा नहीं बल्कि अपरिवर्तनशील (unchanged) रहेगा तथा इसी कारण द्वितीय कुण्डलन में कोई वि० वा० बल प्रेरित नहीं होगा (सप्लाई का स्विच खोलते समय, थोड़ी देर के अलावा) ।

 इस प्रकार दिष्ट धारा वोल्टता को ट्राँसफार्मर की सहायता से घटाया-बढ़ाया नहीं जा सकता।
 इसके विपरीत ट्राँसफार्मर को दिष्ट धारा वोल्टता से जोड़ने पर क्षति पहुँच सकती है। क्योंकि ऐसा करने से ट्रॉसफार्मर के प्राथमिक कुण्डलन में कोई पश्चगामी (lagging) वि० वा० बल प्रेरित नहीं होगा जिसके कारण प्राथमिक कुण्डलन प्रदाय (Supply) से अधिक मात्रा में धारा लेकर गर्म हो जायेगी तथा प्राथमिक कुण्डलन जल जायेगी

transformer objective questions and answers in hindi


 प्रश्न 2 ट्रॉंसफार्मर का निर्धारण (rating) सदैव KVA ( किलो वोल्ट ऐम्पियर में लिखा जाता है, जबकि मोटरों का K.W. या H.P में ,कारण दीजिये।

उत्तर- इसका कारण यह है कि ट्राँसफार्मर का शक्ति गुणक (power factor) सदैव उस पर लगी मशीनों या अन्य लोड पर निर्भर करता है जबकि प्रेरण मोटरों (इंडक्शन मोटर )का निर्धारण सदैव K.W. या H.P में लिखा जाता है क्योंकि उनका शक्ति गुणक स्वयं उनके अपने लोड पर निर्भर करता है |




प्रश्न 3- क्या टाँसफार्मर निर्धारित वोल्टता पर निर्धारित आवृत्ति से उच्च या निम्न आवृत्ति पर चलाया जा सकता है ?


उत्तर- ट्राँसफार्मर को निर्धारित आवृत्ति से उच्च आवृत्ति पर चलाया जा सकता है, लेकिन इस स्थिति में क्रोड(core) में फ्लक्स घनत्व कम होगा तथा चुम्बकन धारा भी कम होगी, इससे उच्च आवृत्ति पर समान KVA आउट आउट के लिये ट्रॉसफार्मर का भार कम तथा आकार छोटा कर सकते है

इसके विपरीत ट्राँसफार्मर को निर्धारित वोल्टता पर निर्धारित अवृत्ति से कम आवृत्ति पर नहीं चलाना चाहिये । निम्न आवृत्ति पर क्रोड अति संतृप्त हो जायेगा, जिससे चुम्बकन धारा अत्यधिक हो जायेगी तथा इस प्रकार लोह हानियाँ बढ़ जायेगी,क्रोड अधिक गर्म होकर कुण्डलन( WINDING) तक को जला देगी ।

इसके लिये यदि कभी आवृत्ति की कमी करना चाहें तो उसी अनुपात में प्रयुक्त वोल्टता को भी कम करना चाहिये ताकि फ्लक्स घनत्व समान रहे । ऐसी स्थिति में लोह हानियाँ समान होगी लेकिन वोल्टता कम होने पर ट्राँसफार्मर की आउटपुट भी घट जायेगी।


ट्रांसफार्मर संक्षिप्त प्रश्नोत्तर

ट्रांसफार्मर question and answer :-

 प्रश्न 1. ट्रांसफार्मर के बारे में आप क्या समझते हैं।

उत्तर - यह स्थिर रहने वाली एक मशीन है जो वोल्टेज को कम या अधिक करने के काम आती है।


प्रश्न 2. ट्रांसफार्मर किस नियम पर कार्य करता है?

उत्तर -
म्यूच्यूअल इंडक्शन पर।


प्रश्न 3. ट्रांसफार्मर में मुख्य भाग कौन से हैं?

उत्तर - प्राइमरी वाइंडिंग, सैकेंड्री वाइंडिंग, कोर


प्रश्न 4. उस वाइंडिंग का नाम क्या है जिसमें सप्लाई दी जाती है?
उत्तर - प्राइमरी वाइंडिंग


प्रश्न 5. जिससे सप्लाई ली जाती है उस वाइंडिंग का क्या नाम है?

उत्तर -
सैकेंड्री वाइंडिंग।


प्रश्न 6. लैमिनेटिड कोर का क्या फायदा है?

उत्तर -
कोर में EDDY CURRENT LOSS कम करता है।


प्रश्न 7. कोर टाइप ट्रांसफार्मर में मैगनेटिक पाथ कितने होते हैं?

उत्तर -
एक।


प्रश्न 8. शैल टाइप ट्रांसफार्मर में चुम्बकीय रास्ते कितने हैं?

उत्तर -
दो।


प्रश्न 9.ट्रांसफार्मर अनुपात से आप क्या समझते हो?

उत्तर - E2/E1=N2/N1=I1/I2



प्रश्न 10. ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग में पैदा होने वाली ई०एम०एफ० का सूत्र बताओ।

उत्तर - E = 4.44Φmaxf N Volts


प्रश्न 11. ट्रांसफार्मर में ट्रांसफार्मर आयल क्यों भरा जाता है?

उत्तर -
इंसूलेशन बढ़ाने व वाइंडिंग को ठंडी करने के लिए।


प्रश्न 12. ट्रांसफार्मर आयल के फ्लैश प्वाइंट से आप क्या समझते हैं?

उत्तर - ऑयल वाष्प का इग्नीशन बिन्दु


प्रश्न 13. ट्रांसफार्मर आयल के फ्लैश प्वाइंट से आप क्या समझते हैं?

उत्तर -
वह तापक्रम जिस पर तेल आग पकड़ता है।


प्रश्न 14. ट्रांसफार्मर में ब्रीथर क्यों फिट किया जाता है?

उत्तर -
ट्रांसफार्मर को शुष्क हवा देने के लिए।


प्रश्न 15. ट्रांसफार्मर के ऊपर कंजरवेटर क्यों लगता है?

उतर- जब तेल गर्म होकर फैलता है तो उसको यह जगह देता है।


प्रश्न 16. ब्रीथर में क्या मैटीरियल भरा जाता है।

उत्तर -
कैल्शियम क्लोराइड या सिलिका जैली*


प्रश्न 17. एमरजेंसी रिलीज क्या होती है?

उत्तर - ट्रांसफार्मर के ऊपर एक पाइप होती है जो ट्रांसफार्मर को शार्ट सर्किट के समय फटने से बचाता है।


प्रश्न 18. नो लोड फ्लक्स और लोड फ्लक्स में क्या संबंध है?

उत्तर -
जो फलक्स बिना लोड पर होता है वही लोड पर होता है।


प्रश्न 19.  ट्रांसफार्मर में नो लोड करंट के क्या कार्य हैं?

उत्तर - फ्लक्स पैदा करती है तथा आयरन व कॉपर लॉस पूरे (Compensate) करती है।


प्रश्न 20. जब सैकेंड्री साइड पर लोड बढ़ाया जाता है तो प्राइमरी पर क्या असर होता है?

उत्तर -
प्राइमरी में करंट बढ़ जाता है।


प्रश्न 21. आयरन लॉस मालूम करने के लिए कौन सा टैस्ट किया जाता है?

उत्तर -
ओपन सर्किट टैस्ट।


प्रश्न 22. कॉपर लॉस मालूम करने के लिए कौन सा टैस्ट किया जाता है?

उत्तर -
शार्ट सर्किट टैस्ट।।


प्रश्न 23. ओपन सर्किट टैस्ट में कॉपर लॉस क्यों छोड़ देते हैं?

उत्तर -
नो लोड करंट के कम होने के कारण।


प्रश्न 24, शार्ट सर्किट टैस्ट में आयरन लॉस क्यों छोड़ देते हैं?

उत्तर -
क्योंकि प्राइमरी वाइंडिंग में बहुत कम वोल्टेज होती है और आयरन लॉस वोल्टेज (फ्लक्स) के समानुपाती होते हैं।


प्रश्न 25, आटो ट्रांसफार्मर लो वोल्टेज पर ही क्यों प्रयोग किए जाते हैं?

उत्तर -
क्योंकि प्राइमरी और सैकेंड्री एक ही वाइंडिंग की होती हैं।


प्रश्न 26. आटो ट्रांसफार्मर के मुख्य लाभ क्या हैं?

उत्तर -
कॉपर (तांबे) की बचत।


प्रश्न 27. सी०टी० तथा पी०टी० से आप क्या समझते हैं?

उत्तर -
सी०टी० करंट ट्रांसफार्मर को कहते हैं जो कि अधिक करंट नापने के काम आता है। पी०टी० (पोटेंशियल ट्रांसफार्मर)को कहते हैं जोकि अधिक वोल्टेज (H.T. पर) नापने के काम आता है।


प्रश्न 28. करंट व वोल्टेज की सीमा बताओ जिससे ऊपर सीटी व पी०टी० प्रयोग करते हैं?

उत्तर - 60 A, 750 V

प्रश्न 29.  सी ०टी० से एम्पियर मीटर अलग करते समय क्या-क्या सवधानियाँ रखनी पड़ती हैं?

उत्तर -
सैकेंड्री शार्ट होनी चाहिए।



Transformer mcq in hindi

निम्नलिखित प्रश्नों में से सही उत्तर का चयन कीजिए

1. एक ट्रांसफार्मर की प्राइमरी और सेकेन्ड्री वोल्टेजों के बीच फेज अन्तर होता है

(a) 90°
(b) 0o
(c) 180° ✔
(d) 30° 60° के मध्य

2. किसी ट्रांसफार्मर की दक्षता ज्ञात करने के लिए आउटपुट-इनपुट नापने वाली विधि कठिन होती है क्योंकि

(a) आउटपुट sinusoidal होती है और नापी नहीं जा सकती।
 (b) ट्रांसफार्मर की दक्षता सामान्यता बहुत अधिक होती है और इसलिए बहुत शुद्ध नापने की आवश्यकता होती है।
 (c) हानियाँ असामान्य रूप से अधिक होती है।
(d) आउटपुट इनपुट की अपेक्षा आउट ऑफ फेज होती है।

3. एक ट्रांसफार्मर के फुल लोड आयरन लॉस 900 W और कॉपर लॉस 1600 W है। कितने % लोड पर ट्रांसफार्मर अधिकतम दक्षता देगा?

 (a) 100%
(b) 50%
 (c) 75%
 (d) 90%

4. ट्रांसफार्मरों को समानान्तर में चलाने के लिए कौन-सी अवस्था आवश्यक है?

 (a) इनकी kVA रेटिंग समान होनी चाहिए।
(b) इन्हें समान फ्रीक्वेंसी पर चलाना चाहिए।
(c) इनकी वोल्टेज रेटिंग लोड शेयरिंग के अनुपात अनुसार होनी चाहिए
(d) इनकी ट्रान्सफॉर्मेशन अनुपात भार साझेदारी के अनुपात अनुसार होनी चाहिए

 5. ट्रांसफार्मर के ब्रीदर में प्रयुक्त रसायन

 (a) नमक
(b) पानी
(C) खनिज कूल
(d) सिलिका जल

 6. ट्रांसफार्मरों में कौन-सी हानियाँ लोड के साथ परिवर्तित होती हैं?

(a) कॉपर हानियाँ
(b) कोर हानियाँ
(C) ऐडी करेन्ट हानियाँ
(d) हिस्टेरिसिस हानियाँ

7. ट्रांसफार्मर के किस भाग में सबसे अधिक गर्मी उत्पन्न होती है?

(a) कोर
(b) फ्रेम
(C) आयल
(d) वाइंडिंग

 8. यदि एक ट्रांसफार्मर के कोर में फ्लक्स घनत्व को बढ़ा दिया जाए तो

(a) ऐडी करेन्ट हानियाँ कम होंगी
(b) सेकन्ड्री साइड की वेव का आकार गड़बड़ा जाएगा।
(c) ट्रांसफार्मर का आकार कम किया जा सकता है ।
(d) सेकेन्ड्री वाइंडिंग की फ्रीक्वेंसी परिवर्तित हो जाएगी

9. ट्रांसफार्मर की प्राइमरी और सेकेन्ड्री क्वाइलों में सदैव

(a) तार का एक ही साइज होता है
(b) फेरों की संख्या अलग-अलग होती है।
(c) मैग्नेटिक सर्किट एक ही होता है
(d) मैग्नेटिक सर्किट अलग-अलग होता है।

10. ट्रांसफार्मर पर ओपन सर्किट टेस्ट करने से हमें

(a) कॉपर हानियाँ प्राप्त होती हैं।
(b) ऐडी करेन्ट हानियाँ प्राप्त होती हैं।
(c) हिस्टेरिसिस और ऐडी करेन्ट हानियाँ का योग प्राप्त होता है।
(d) हिस्टेरिसिस हानियाँ प्राप्त होती हैं।

11. किसी ट्रांसफार्मर में अधिकतम दक्षता प्राप्त करने की दशा होती है

(a) कॉपर हानियाँ = आयरन हानियाँ
(b) कोर हानियाँ = हिस्टेरिसिस हानियाँ
(C) हिस्टेरिसिस हानियाँ = ऐडी करेन्ट हानियाँ
(d) कुल हानियाँ = x कॉपर हानियाँ

12. ट्रांसफार्मर की ब्रीदर का कार्य होता है

(a) ट्रांसफार्मर ऑयल को फिल्टर करना है।
(b) ठण्डी हवा का प्रबन्ध करना है।
(C) कूलिंग ऑयल को ऑक्सीजन प्रदान करना है।
(d) जब बाहर से हवा ट्रांसफार्मर में प्रवेश करे तब हवा से नमी को सोखना है।

13. ट्रांसफार्मर का e.m.f. मान किस पर निर्भर करता है?

(a) फ्रीक्वेंसी, टर्नो की संख्या और फ्लक्स के बराबर
(b) टर्नो की संख्या के वर्ग और फ्रीक्वेंसी के बराबर
(c)  टर्नो  की संख्या और फ्रीक्वेंसी के वर्ग के बराबर
(d)  टर्नो  की संख्या, फ्रीक्वेंसी और फ्लक्स के वर्ग बराबर

14. स्टेप, डाउन ट्रांसफार्मर में प्राइमरी वाइंडिंग में  टर्नो  की संख्या, सेकेन्ड्री वाइंडिंग में  टर्नो  की संख्या की अपेक्षा

(a) कम होंगे।
(b) अधिक होंगे।
(C) बराबर होंगे
(d) एक टर्न कम होगा


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उत्तरमाला 1. (c), 2. (b), 3. (c), 4. (b), 5. (d), 6. (a), 7. (d), 8. (c), 9. (C), 10. (C), 11. (a), 12. (d), 13. (a),  14. (b)

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फ्यूज क्या होता है और कितने प्रकार का होता है | HRC fuse क्या होता है

फ्यूज क्या होता है  what is fuse in hindi ?

     जिस तरह से सर्किट को circuit breaker, fault की condition में  अपने आप break करता है उसी प्रकार fuse भी एक प्रकार का सुरक्षात्मक उपकरण है जो circuit के series में संयोजित करने पर short circuit, overloading की condition में circuit को ब्रेक करता है।
types of fuse


फ्यूज की परिभाषा (Definition of fuse)

    सामान्यत: Fuse एक धातु का छोटा-सा टुकड़ा होता है जो circuit के श्रेणी क्रम में जुड़ा होता है  यदि circuit में एक निश्चित मान से ज्यादा करंट  flow होती तब fuse पिघल कर circuit को break कर  देता है, fuse कहलाता है।
OR
वह protective device जो उच्च वैद्युत धारा के विरुद्ध केबिलों तथा उपकरणों की रक्षा के लिये वैद्युत परिपथ के श्रेणी क्रम में संयोजित किया जाता है फ्यूज कहलाता है।

CIRCUIT में FUSE लगाने के लाभ

·        यह heavy short circuit की स्थिति में बिना आवाज किये circuit को break करता है।
·        यह circuit को automatic ब्रेक करता है।
·         Fuse element के छोटे साइज circuit को break करने के लिये उपयुक्त होता है।
·         Operation time न्यूनतम (minimum) होता है।

फ्यूज किससे बनता है ? (Fuse Element Materials)

   सामान्यत: Fuse element के लिये लेड, टिन, कॉपर, जिंक तथा सिल्वर प्रयोग किया जाता है। कम current (10 A) के लिये टिन या लेड और टिन (Lead 37% + Tin 63%) का मिश्रण प्रयोग किया जाता है।
 ज्यादा current के लिये copper या silver या इन दोनों का मिश्रण प्रयोग किया जाता है। सामान्यतः इस समय ज्यादातर silver प्रयोग किया जाता है।


फ्यूजिंग फैक्टर (Fusing Factor) क्या है ?

 “ किसी भी fuse element के लिये minimum प्रगलन धारा तथा फ्यूज की निर्धारित धारा के अनुपात को fuse factor कहते हैं। इसका मान हमेशा एक से अधिक होता है।”

fusing factor







फ्यूज के प्रकार (Types of fuse)

वोल्टता के अनुसार

(i) निम्न वोल्टता फ्यूज (Low voltage fuse)
(a) पुनर्तारीय प्ररूपी फ्यूज (Semi-enclosed rewirable fuse)
(b) उच्च विदारण क्षमता वाले कारतूसी अथवा H.R.C. फ्यूज (High rupturing capacity type (H.R.C.) fuse cartridge
 (ii) उच्च वोल्टता फ्यूज (High voltage fuse)

 (a) पुनर्तारीय प्ररूपी फ्यू ज (Semi-Enclosed Rewirable Fuse)

    Rewirable fuse को Kitkat type fuse के नाम से जाना जाता है। इस फ्यूज में धातु तार का fuse element लगाया जाता है जिसे पिघल कर गिर जाने पर replace किया जा सकता है।
 इनमें fuse element प्राय: टिन लेपित ताम्र तार का होता है जिसे fuse carrier (फ्यूज वाहक) में दो सम्पर्क सिरा स्क्रूओं के बीच कस दिया जाता है।
 उसके बाद फ्यूज कैरियर को fuse board पर स्थापित फ्यूज आधार में लगा दिया जाता है। 
Kitkat type fuse

Fuse base में भी स्थिर सम्पर्क सिरे होते हैं जिनका सम्बन्ध अलग-अलग क्रमश: outgoing तथा incoming phase wire से होता है। इस प्रकार fuse carrier तथा fuse base के सम्पर्क सिरे आपस में संयोजित होकर, fuse element की सहायता से सप्लाई सिरे को परिपथ सिरे से संयोजित करते है।

लाभ (Advantages)

1)   इसे सावधानीपूर्वक स्विच ऑन की स्थिति में ही निकाला जा सकता है तथा लगाया जा सकता है।
2)    Fuse element को change करने में लगा  cost बहुत कम होता है।
3)   ये कीमत में अपेक्षाकृत सस्ते होते हैं।
4)    इनकी संरचना simple होती है।
5)   पिघले हुए फ्यूज का स्थानान्तरण करने के बाद पुन: इसे काम में लाया जा सकता है।

हानियाँ (Disadvantages)

(i) इस type के fuse की breaking capacity कम होती है। अत: इन्हें high fault की स्थिति में प्रयोग नहीं किया  जा सकता है।

(b) उच्च विदारक क्षमता वाले कारतूसी अथवा H.R.C. फ्यूज(High rupturing capacity type (H.R.C.) fuse cartridge)

   इनका विदारक क्षमता 66 kV से 500 MVA तक होती है। इसीलिये इन्हें कारतसी प्रारूपी उच्च विदारक क्षमता वाले फ्यूज कहते हैं। इसका मुख्य विशेषता यह है कि short circuit fault के अन्तर्गत एक निश्चित समय तक उच्चतम धारा प्रवाह की  क्षमता रखते हैं।
h.r.c. फ्यूज क्या होता है

    यदि इस निश्चित समय के अन्तर्गत, short circuit fault स्वत: ठीक हो जाये तो fuse पिघलकर नष्ट नहीं  होता है। परन्तु यदि fault ठीक नहीं होता है तो fuse पिघलकर नष्ट हो जाता है। इस प्रकार परिपथ में धारा का मान शून्य हो जाता है।

HRC FUSE के लाभ

(i) इसकी operation speed उच्च होती है।
(ii) इसकी maintenance की आवश्यकता नहीं होती है।
(iii) यह एक विश्वसनीय सुरक्षात्मक उपकरण है।
(iv) ये fuse 2 से 800 amp तक की धारा के लिये निर्धारित होते हैं।

High Voltage Fuse

    अभी तक जो हमने कम वोल्टेज वाले फ्यूज पढ़े हैं उनकी विद्युत क्षमता तथा सर्किट को ब्रेक करने की क्षमता कम होती है। अत: इन फ्यूजों को उच्च वोल्टेज सिस्टम के लिए उपयोग नहीं करते हैं। उच्च वोल्टेज सिस्टम के लिए उपयोग में आने वाले फ्यूज निम्न प्रकार है।


 (i) Cartridge Type-

    इस फ्यूज की संरचना कम वोल्टेज वाले कारतूस फ्यूज के समान ही है। इस फ्यूज के डिजाइन में बदलाव करके हम इसे उच्च वोल्टेज सिस्टम के लिए उपयोग कर सकते हैं। जैसे कि फ्यूज के element को helix form में डिजाइन करके उच्च वोल्टेज सिस्टम के लिए उपयोग कर सकते हैं क्योंकि ऐसा करने से उच्च वोल्टेज सिस्टम में उत्पन्न होने वाले corona effect से बचा जा सकता है दूसरा दो फ्यूज तारों को समान्तर में लगाकर जिसमें एक कम प्रतिरोध का तार (जैसे कि Silver Wire ) तथा दूसरा उच्च प्रतिरोध का तार (जैसे कि Tungsten Wire)

सामान्य अवस्था में कम प्रतिरोध वाला तार परिपथ की धारा को वहन करेगा। fault स्थिति में कम प्रतिरोध वाला तार जल जायेगा तथा उच्च प्रतिरोध तार परिपथ की धारा को एक समय के लिए controlled करेगा तथा कुछ समय उपरान्त उच्च प्रतिरोध तार भी जलकर सर्किट को बन्द कर देगा।
उच्च वोल्टेज cartridge फ्यूज को 33 KV पर 8700A तक breaking capacity के लिए उपयोग किये जाते हैं। 6.6 KV पर 200 A के लिए तथा 11 KV पर 50 A Breaking Capacity के फ्यूज उपलब्ध है।

(ii) Liquid Type :

   इन फ्यूजों के अन्दर carbon tetrachloride(कार्बन टेट्राक्लोराइड ) के solution(घोल) को उपयोग में लाया जाता है। इन फ्यूजों की बहुत अधिक range उच्च वोल्टेज सिस्टम में उपलब्ध है। इन फ्यूजों को परिपथ में 100 A पर 132 KV के लिए तथा 6100 A तक परिपथ में उपयोग में लाया जा सकता है।
High Voltage Fuse
   चित्र में Liquid types Fuse को दिखाया गया है। इस फ्यूज में एक ग्लास ट्यूब होती है जिसके अन्दर carbon tetrachloride का solution (घोल) भरा रहता है तथा ट्यूब के दोनों सिरे brass cap के द्वारा sealed होते हैं। 
फ्यूज तार का एक सिरा sealed होता है तथा दूसरा सिरा phosphor bronz spiral spring द्वारा ग्लास ट्यूब के दूसरे सिरे से जुड़ा रहता है।
जैसे ही परिपथ के अन्दर धारा का मान अधिक होता है तो फ्यूज तार जल जाता है तथा phosphor bronz spiral spring उस जले हुये फ्यूज तार को अपनी तरफ खींच लेती है जिसके कारण आर्क तुरन्त बुझ जाती है।

 hello दोस्तों इस पोस्ट में हमने आपको ''फ्यूज क्या होता है  और कितने प्रकार का होता है |'' के बारे में सारी जानकारी दी है इसके अलावा अगर आपका  कोई सवाल या सुझाव है तो हमें  कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें, धन्यवाद

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