सोमवार, जनवरी 28

विशेष प्रकार के ट्रांसफार्मर |ऑटो ट्रांसफार्मर |वेल्डिंग ट्रांसफार्मर |उपयन्त्र ट्रॉसफार्मर आदि


विशेष प्रकार के ट्रांसफार्मर

ऑटो ट्रांसफार्मर

ऑटो ट्राँसफार्मर (Auto Transformer)


  ऑटो-ट्रॉसफार्मर में केवल एक कुण्डलन (winding)  होती है जोकि प्राथमिक तथा द्वितीयक दोनों वाइंडिंग  का कार्य करती है। द्वितीयक वोल्टता (आउटपुट ) को किसी भी सुविधाजनक बिन्दु से टैप कर लिया जाता है।
 ऑटो ट्रॉसफार्मर का सिद्धान्त तथा कार्य सामान्य ट्राँसफार्मर के समान है। जिसके कारण इसे सस्ता बनाया जाता है। ऑटो ट्राँसफार्मर उस स्थिति में अधिक उपयोगी होते हैं जहाँ रूपान्तरण अनुपात (transformation ratio) कम हो। ऑटो ट्राँसफार्मर में एक ही भाग पर दोनों कुण्डलन एक दूसरे से विद्युतरोधित (insulated) होती है। द्वि-कुण्डलन टॉसफार्मर में दोनों कुण्डलन चुम्बकन लौह क्रोड द्वारा अन्र्तगुथित (interlinked) रहती है। जबकि ऑटो ट्राँसफार्मर में दोनों कुण्डलन परस्पर चुम्बकीय तथा विद्युतरोधन दृष्टि से अन्र्तगुथित(linked) रहती हैं।
ऑटो ट्रांसफार्मर |

ऑटो ट्राँसफार्मर के लाभ

(i)           ऑटो ट्राँसफार्मर, ताम्र की बचत के लिए प्रायः प्रयोग किये जाते हैं, जहाँ इकाई से बहुत भिन्न रूपान्तरण अनुपात (transformation ratio) आवश्यक नहीं होता है।

(ii)          यह नियमन ट्रॉसफार्मर (regulating transformer) के रूप में भी बहुत उपयोगी है।

    (iii)   इन्हें कभी-कभी वर्धक/बूस्टर (booster) की भाँति प्रयोग में लाया जाता है ताकि प्रत्यावर्ती               धारा प्रदायक (feeder) की वोल्टता बढ़ाई जा सकती है।

     (iv) इनकी दक्षता उच्च होती है
     इनको प्रेरण मोटरों को चलाने में ऑटो ट्रॉसफार्मर । स्टार्टर के रूप में प्रयोग किया जाता है।

ऑटो ट्राँसफार्मर के हानियाँ-

 जब रूपान्तरण (transformation) प्राथमिक की अपेक्षा अधिक उच्च वोल्टता पर होता है तब यह वॉछनीय है कि दोनों कुण्डलन विद्युतीय दृष्टिकोण से परस्पर अच्छी प्रकार विद्युतरोधित (insulated) हों, यह ऑटो ट्रॉसफार्मर में सम्भव नहीं है।


वेल्डिग ट्राँसफार्मर (Welding Transformer)


    वेल्डिग ट्राँसफार्मर, अवक्रम प्रारूपी ट्रॉसफार्मर (step downtransformer) है, जो प्रत्यावर्ती धारा (A.C.) पर वेल्डिग करने में प्रयोग किये जाते हैं। वेल्डिग ट्राँसफार्मर सामान्यतया 220-440 वोल्ट की सप्लाई की निर्बल धारा को 30 से 80 वोल्ट की उच्च धारा में परिवर्तित करते हैं। ट्रॉसफार्मर की द्वितीयक आउटपुट  धारा (secondary output current) का नियन्त्रण, टेपिंग स्विचों, प्लगों (plugs) या फिरलगातार घूमने वाले स्विचों द्वारा किया जा सकता है रोटरी, जिससे आवश्यकताअनुसार भिन्न-भिन्न मान की धारायें प्राप्त की जा सकती हैं।

विशेष प्रकार के ट्रांसफार्मर  |ऑटो ट्रांसफार्मर |वेल्डिंग ट्रांसफार्मर |उपयन्त्र ट्रॉसफार्मर आदि
उच्च धारा के आर्क को बनाये रखने के लिये, ट्रॉसफार्मर में निम्न शक्ति गुणक रखा जाता है जिसमें वोल्टता तथा ऐम्पियर में फेज कोण (phase angle) प्राप्त हो सके। यह फेज कोण प्रेरणिक प्रतिघात (inductive reactance) द्वारा प्राप्त होता है। प्रेरणिक प्रतिघात बदलने से आउटपुट धारा के विभिन्न मान प्राप्त किये जा सकते हैं। रोटरी स्विचों का प्रयोग करके भी धारा के विभिन्न मान प्राप्त किये जा सकते हैं। रोटरी स्विचों के स्थान पर प्रेरणिक प्रतिघात कुण्डली में लौह क्रोड (iron core) को ऊपर नीचे सरका कर आउटपुट धारा के विभिन्न मान प्राप्त किये जा सकते हैं


उपयन्त्र ट्रॉसफार्मर (Instrument Transformer)


      उपयन्त्र ट्रॉसफार्मर प्रत्यावर्ती धारा (ac)परिपथ में उच्च धारा तथा उच्च वोल्टता को मापने में प्रयोग किये जाते हैं। जिस उपयन्त्र ट्रॉसफार्मर को उच्च धारा परिपथ में उच्च धारा मापने के लिये प्रयोग किया जाता है उसे धारा ट्रॉसफार्मर (current transforiner) कहते हैं तथा जिसे उच्च वोल्टता मापने के लिये उच्च वोल्टता लाइन पर प्रयोग किया जाता है उसे वोल्टता या विभव ट्रॉसफार्मर (Voltage or potential transformer) कहते हैं।

(अ)    धारा ट्राँसफार्मर (Current Transformer)

      इन्हें सी० टी० (C.T.) भी कहते हैं। प्राथमिक कुण्डलन इन ट्रॉसफार्मरों की प्राथमिक winding मोटे विद्युतरोधी चालक द्वारा 1 से 50  वर्तन तक बनाई जाती है तथा इसे मुख्य  धारा परिपथ की श्रेणी में जोड़ दिया जाता है । द्वितीयक कुण्डलन अधिक वर्तन देकर धारा लाईन उपयुक्त विद्युतरोधित चालक द्वारा बनाई जाती है तथा 5 ऐम्पियर परास (low range) के ऐमीटर के माध्यम से लघुपथित कर दी जाती है ऐमीटर का पैमाना प्राथमिक परिपथ की धारा के निश्चित अनुपात में विभक्त होता है
Potential Transformer or Voltage Transformer


 (ब) वोल्टता या विभव टाँसफार्मर

 (P.T. or Potential Transformer or Voltage Transformer)

विभव टॉसफार्मर की प्राथमिक कुण्डलन में अधिक वर्तन (turns) होते हैं तथा इसे मापी जाने वाली उच्च वोल्टता लाइन के समान्तर में जोड़ा जाता है। द्वितीयक कुण्डलन में कम वर्तन होते हैं तथा इन्हें कग परास (low range) वोल्टमीटर के समान्तर में जोड़ा जाता हैं। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
 वास्तव में विभव ट्रॉसफार्मर एक सही अनुपात का अवक्रम ट्रांसफार्मर (Step down transformer) है। 500 वोल्ट तक प्रयोग होने वाले विभव ट्रांसफार्मर वायु क्रोडित (air Cored) या शुष्क तथा इससे अधिक वोल्टता लाइन पर प्रयोग होने वाले ट्रांसफार्मर तेल में डुबाकर प्रयोग किये जाते हैं। वोल्टमीटर एक पैमाना प्राथमिक वोल्टता के अनुपात में बनाया जाता है जिसका परास 110 वोल्ट के लिये बनाया जाता है। सुरक्षा की दृष्टी से इस ट्रॉसफार्मर की द्वितीयक कुण्डलन को प्राथमिक कुण्डलन से उच्च विद्युतरोधित पदार्थों (high insulated materials) द्वारा अलग कर दिया जाता है।

भट्टी ट्राँसफार्मर (Furnace Transforner)


  भट्टी ट्राँसफार्मर (furnace transformer) एक विशेष प्रकार से डिजाइन ट्रांसफार्मर है। जिन्हें इण्डस्ट्रीज के अन्दर भट्टी में उपयोग किया जाता है। इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में द्वितीयक में कम वोल्टेज रखते हैं तथा धारा की मात्रा अधिक रखते हैं जिसके कारण अत्यधिक ऊष्मा (I2 R, ) उत्पन्न हो सके। इससे धातु को कई टन/घण्टा (Tonnes/hour) की दर से गलाया जा सकता है। भट्टी के साइज के अनुसार ट्रॉसफार्मर का चयन किया। जाता है यदि भट्टी छोटी है तो एकल फेज सप्लाई से लेते हैं और यदि भट्टी बड़ी है तो त्रि फेज वोल्टेज सप्लाई  से लेते हैं।
 आर्क भट्टी ट्राँसफार्मर 
सामान्यतया इस प्रकार के ट्राँसफार्मर को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है--
(i)           आर्क भट्टी ट्राँसफार्मर (Arc Furnace Transformer)
(ii)           प्रेरण भट्टी टाँसफार्मर (Induction Furnace Transformer)

भू-सम्पर्क ट्राँसफार्मर (Earthing Transformer)



       भू-सम्पर्क ट्रॉसफार्मर (earthing transformer) को स्टार-डेल्टा अथवा जिग-जैग टाइप ट्रॉसफार्मर भी कहते हैं। इनको अधिकतर न्यूट्रल प्वाइन्ट लेने के लिये उपयोग में लाया जाता है।


रैक्टिफायर ट्राँसफार्मर  (Rectifier Transforrner)


     रैक्टिफायर ट्राँसफार्मर प्रायः ए० सी० को डी० सी० में परिवर्तन करने हेतु उपयोग  आता है। इसको रैक्टिफॉर्मर्स भी कहते हैं। इस प्रकार के ट्रॉसफार्मर में कोर के  ऊपर  प्राइमरी च सेकेन्डरी वाइन्डिंग होती है। सेकेन्डरी में चित्र के अनुसार डायोड रेक्टिफायर - थायरिस्टर (thyristor) कन्ट्रोल रेक्टिफायर्स लगाकर डी० सी० प्राप्त करते हैं।
रैक्टिफायर ट्राँसफार्मर Rectifier Transforrner

रैक्टिफायर ट्राँसफॉर्मर (Mains) मेन्स से सप्लाई वोल्टेज लेता है जो इसकी प्राइमरी वाइन्डिंग में जाती है तथा सेकेन्डरी में से टैप चेन्जर के द्वारा या एक ऑटो टाँसफार्मर के द्वारा लोड पर डी
० सी० चली जाती है। इस प्रकार के ट्राँसफार्मर का उपयोग वैद्युत रेलवे में, मोटर कंट्रोल  में व पावर स्टेशनों पर किया जाता है|
उपयोग -इस प्रकार के ट्राँसफार्मर का उपयोग निम्न है|
(i)  रेलवे पावर सप्लाई हेतु।
(ii) लघु मोटर चालन (drives) के नियन्त्रण हेतु।
(iii)  डी० सी० उपकरणों की गति नियन्त्रण हेतु।
(iv)   परिवर्तनीय आवृत्ति (variable frequency) ए० सी० मोटर नियन्त्रण हेतु।


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