कोरोना (CORONA)
corona
शब्द को आज के समय ऐसा कोइ नहीं है जो जानता न हो | शायद कोरोना एक ऐसा शब्द है जो
दुनिया के किसी भी कोना में एक ही तरह के उच्चारण के साथ बोला जाता है यह दुनिया का सबसे
पापुलर word बन गया है ,लेकिन यह नया शब्द नहीं है |
इससे पहले इसको सीमित लोग ही जानते थे ,तो आज आप जानेगे कि कोरोना वायरस से पहले किसका-किसका नाम कोरोना रखा जा चूका है
1. सूर्य के संदर्भ में
कोरोना क्या है ?
सूर्य के वर्णमंडल के बाहरी भाग को किरीट या कोरोना (Corona)या आभा कहते हैं। पूर्ण सूर्यग्रहण के समय वह श्वेत वर्ण का होता है । कोरोना अत्यंत विस्तृत क्षेत्र है और प्रकाश-मंडल के ऊपर उसकी ऊँचाई सूर्य के व्यास की कई गुनी होती है।
कोरोना का तापमान लाखों डिग्री
है। पृथ्वी से कोरोना सिर्फ पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान ही दिखाई देता है। कोरोना का तीव्र तापमान अभी तक ज्ञात नहीं हो पाया है।
2. इलेक्ट्रिकल
इंजीनियरिंग में कोरोना क्या होता है ?
किरीट या आभा Corona किसे कहते है :-
ऐसी वैद्युत-रासायनिक अभिक्रिया जिसमें उच्च वोल्टता के कारण चालक(तार जिसमे धारा प्रवाहित होती है) के चारों ओर की वायु भंजित (Break down) होकर विद्युत की सुचालक बन जाती है और चालक का ही अंग बनकर वैद्युत धारा प्रवाह में सहायक होती है। इस घटना को कोरोना कहते हैं।
यह घटना उस समय (स्थिति) में होती है जब दो चालक समान्तर
स्थिति में जिनके बीच की दूरी उनके व्यासा की तुलना में अत्याधिक हो। उस समय
वोल्टता का मान बढ़ाने पर एक निश्चित वोल्टता के बाद मन्द-मन्द शी-शी-शी .... की
ध्वनि के साथ जामुनी रंग का हल्का प्रकाश उत्पन्न होता है।
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कोरोना की अभिव्यक्ति (Conception of Corona)
(i) हिसिंग्स ध्वनि का सुनाई देना, जामुनी रंग के प्रकाश का दिखाई देना, ऊष्मा उत्पन्न होना, सतह सम्पकिंत वायु का भंजन होना, रासायनिक प्रक्रिया से ओजोन गैस का बनना आदि।
(ii) यदि चालकों के बीच की दूरी इनके व्यासों की तुलना में अत्यधिक न हो, तो कोरोना बनने से पहले ही वोल्टता उत्सफुलिंगन विसर्जन (Voltage spark over discharge) हो जायेगा।
(iii) प्रत्यावर्ती प्रणाली(ac system) में दोनों तारों पर कोरोना की उत्पत्ति एक समान होती है।
(iv) यदि तार चिकना तथा एक समान अनुप्रस्थ क्षेत्र वाला हो तो प्रकाशयुक्त दीप्ति चालक की सतह पर कुछ दूरी तक एक समान उत्पन्न होगी और तार खुरदरा है तो एक समान माप (diameter) का न हो तो केवल उसी उभार बिन्दु पर इस प्रकार की तीव्रता अधिक हो जायेगी।
(v) दिष्ट धारा प्रणाली के अन्तर्गत ऋणात्मक चालक की अपेक्षा धनात्मक चालक पर एक समान तथा अधिक प्रकाश दीप्ति होती है।
कोरोना को प्रभावित करने वाले कारक
शिरोपरि लाइन में चालक(तार) में होने वाले इस घटना को प्रभावित करने वाले निम्नलिखित कारक हैं:-
(i) लाइन वोल्टता (Line
voltage)
(ii) चालकों के बीच की दूरी (Distance between the land)
(iii) चालकों की आकृति एवं प्रमाप (Shape and size of end)
(iv) चालकों के बीच की दूरी तथा इनके अर्द्धव्यास का अनुपात (Ratio of distance between the conductor and its radius)
(v) चालकों के बीच माध्यम की प्रकृति (Nature of medium between the conductors)
(vi) वायुमण्डल में वायु का घनत्व (Density of air in atmosphere)
(vii) वायु में आयनों की संख्या (Number of ions in air)
(viii) आयन पर आवेश की मात्रा (Quantity of charge on ion)
कोरोना से शिरोपरि लाइन को लाभ:-
(i) अल्पकालिक प्रभावों का कम होना:- कोरोना उत्पत्ति से शिरोपरि लाइन में चालक पर तड़ित(आकाशी बिजली) तथा अन्य सूक्ष्म कारण से उत्पन्न क्षणिक तरंग प्रभाव इत्यादि प्रभाव (अल्पकालिक प्रभावों) कोरोना से समाप्त हो जाते हैं।
(ii) शिरोपरि लाइन में चालकों में कोरोना उत्पत्ति से चालक के आस-पास वाली वायु सम्पर्कित होकर आयनीकृत हो जाती है और चालक के चारों ओर एक विद्युत सुचालक वायु कोष स्थापित हो जाता है। इससे चालक की प्रारम्भिक मोटाई से कुछ अधिक मोटाई हो जाती है।
कोरोना से शिरोपरि लाइन में हानियाँ
(i) कोरोना की उत्पत्ति से वैद्युत शक्ति हानियाँ बढ़ जाती हैं। जिससे शिरोपरि लाइन चालक में
संचरण दक्षता घट जाती है।
(ii) कोरोना की उत्पत्ति से वायुमण्डल के वायु में उत्पन्न ओजोन गैस चालक के पदार्थ से रासायनिक प्रक्रिया करती है जिससे चालक के पृष्ठ पर छिद्रों का निर्माण होता है। चालक का पृष्ठ असमान होकर खुरदरा हो जाता है जिससे चालक का वह स्थान जहाँ कोरोना उत्पन्न होता है वह स्थान निर्बल हो जाता है।
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