काष्ठ खम्भे (Wood Poles)
काष्ठ खम्भे प्रायः साल, चीड़, शीशम, बबूल आदि वृक्षों की सीधी गाँठ रहित गोल लकड़ी के लट्ठ प्रयोग में लाये जाते हैं। काष्ठ खम्भे प्राय: एकल तथा द्वितीय खम्भे या दो से अधिक एकल खम्भों की सहायता से बनते हैं। एकल खम्भे (I type) तथा दोहरे काष्ट खम्भे (A, H प्रारूप) के होते हैं। लकड़ी के खम्भों को बर्फ, ओला, धूप, वर्षा के कुप्रभावों से बचाने के लिए खम्भ के ऊपरी सिरे पर लोहे की टोपी लगाई जाती है।
Pole क्या होता है :-
वे सपोर्ट जिनकी लम्बाई 15 मी तक होती है तथा उद्घर्षण(धरती
में स्थापित करना )के समय इनका लगभग 1/6 भाग भूमि में दबाया जाता है pole
कहलाते है | pole का उपयोग लगभग 33 kv तथा 75 मीटर लम्बे span(दो खम्भों की बीच की
दुरी )तक ही सिमित है
काष्ठ खम्भे प्राय: दो प्रकार के होते हैं-
(i) एकल काष्ठ खम्भे (Single wood poles)
(ii) दोहरे काष्ठ खम्भा (Single
wood pole)
काष्ठ खम्भों के अनुप्रयोग (Applications of Wood Poles)
(i) काष्ठ खम्भों का प्रयोग ग्रामीण
क्षेत्रों में निम्न वोल्टता की वितरण लाइनों में किया जाता है। इनका प्रयोग
अस्थायी शिरोपरि में; जैसे-शादी-विवाह, नुमाइश, उत्सव आदि में विद्युतीकरण के
समय। काष्ठ खम्भों का प्रयोग ज्यादातर जंगली क्षेत्रों में किया जाता है। क्योंकि
जंगली क्षेत्रों में काष्ठ आसानी से प्राप्त हो जाता है।
(ii) न्यूनतम ऊँचाई (9 से 11 मी० तक) की एकल काष्ठ शिरोपरि
वितरण लाइनों की निम्न वोल्टता (22KV लिए किया जाता है।
(iii) अधिक ऊँचाई (11 से 15 मीटर) के दोहरे काष्ठ खम्भों का प्रयोग उच्च वोल्टता (132kV) के लिए होता है।
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