शनिवार, अक्तूबर 31

Vibration Damper in Transmission Line

Stock bridge damper

 

अगर आप जानना चाहते है कि Transmission Line में  stock bridge damper or Vibration Damper क्या होता है /क्यों लगाया जाता है? तो आज आप इस पोस्ट को पढ़ने के बाद अवश्य जान जायेगे

Vibration Damper in Transmission Line

  Vibration Damper

       शिरोपरि लाइनों के चालक वायु वेग से प्रभावित होकर क्षैतिजऔर  ऊर्ध्वाधर दिशा में दोलन करने लगते हैं तथा  वायु भवर के कारण इनके दोलन का आयाम बढ़ जाता है जिससे चालक अन्य चालकों के अधिक निकट आ जाता है फलस्वरुप चालकों के मध्य  स्पार्किंग के कारण शार्ट सर्किट उत्पन्न हो सकती है 

Vibration Damper

Vibration Damper


 

   वायु  वेग के अधिक होने  से   चालको में दोलन आयाम अधिक हो जाता है  जिससे चालक इंसुलेटर तथा  सपोर्टिंग टावर से टूट जाते हैं दोलन आयामों को कम अथवा रोकने के लिए  संचरण लाइनों में टावर से लगभग 2- 3 मीटर तक की दूरी पर vibration damper का प्रयोग किया जाता है

  

  30 से 50 cm लंबे  इस्पात के मोटे तारों के दोनो   सिरों पर  दो भार प्रयुक्त कर बनाए जाते हैं जिसके  मध्य भाग को एक clamp द्वारा शिरोपरि लाइनो  के चालको से जोड़ दिया जाता है   चालक के दोलन की अवस्था में   damper  में प्रयुक्त  भार  दोलित ऊर्जा को ग्रहण कर  चालक में दोलन को कम कर देता है

👉sag क्या होता है ,sag की गणना कैसे की जाती है

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      hello दोस्तों इस पोस्ट में हमने आपको '' Transmission Line me Vibration Damper or stock bridge damper   '' के बारे में संक्षिप्त  जानकारी दी है इसके अलावा अगर आपका  कोई सवाल या सुझाव है तो हमें  कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें, धन्यवाद

बुधवार, अक्तूबर 28

Sag किसे कहते है ? Sag calculation in hindi

 

SAG

हम इस पोस्ट में जानेगे कि sag क्या होता है ,sag की गणना कैसे की जाती है, sag को प्रभावित करने वाले  कारक कौन कौन से है   

Sag किसे कहते है ?

   यदि एक समान परीक्षेत्र क्षेत्रफल वाले नम्य तार को  दो ऐसे आलम्बन  बिंदुओं जो एक ही तल में स्थित है से बांधकर स्वतंत्रता पूर्वक लटका दिया जाए तो वह तार उन बिंदुओं के मध्य एक वक्र के रूप में लटकेगा अतः आलंबन बिंदुओं कथा वक्रित तार के न्यूनतम बिंदु के तलो का अंतर sag कहलाता है sag का मान समतल क्षेत्र व पहाड़ी क्षेत्र के लिए अलग अलग हो सकता है|



 Sag की गणना निम्न  सूत्र से की जा सकती है

Sag calculation formula

Sag calculation formula

जहा ,l = span

    W = चालक का भार 

    T = ऊर्ध्वाधर तल में चालक पर लगा  तनाव 

Span:-  ओवरहेड लाइन में किन्हीं दो आलम्बो के बीच की दूरी को span कहते है

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Sag को प्रभावित करने वाले कारक

 (i) चालक की प्रति एकांक लंबाई का भार बढ़ने से sag का भी मान बढ़ता है

 

S W

 

 (ii) दो आलम्बो के बीच की दूरी बढ़ने से sag का मान में अत्यधिक वृद्धि होती है

 

 (iii) चालक पर लगने वाले तनाव बल T के बढ़ने से sag का मान घटता है 

(iv) चालक पर वायु वेग का दाब बढ़ने से sag का मान बढ़ता है 

 

 hello दोस्तों इस पोस्ट में हमने आपको ''Sag किसे कहते है ?  Sag calculation in hindi |sag को प्रभावित करने वाले  करक '' के बारे में सारी जानकारी दी है इसके अलावा अगर आपका  कोई सवाल या सुझाव है तो हमें  कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें, धन्यवाद

रविवार, अक्तूबर 25

insulator क्या है | insulator in hindi

विद्युतरोधक (Insulator)

 Insulator क्या होता है ?

     वह वैद्युत युक्ति जो किसी चालकीय पदार्थों को वैद्युत प्रवाह को रोकने अथवा चालक तथा पृथ्वी  के बीच विद्युत को रोकने के लिए किया जाता है। यह श्रेष्ठ विद्युतरोधक पदार्थ से बना होता है। इसका प्रयोग शिरोपरि लाइनों में क्रॉस-आर्म चालकों(तार) को स्तम्भ से विलग (Isolate) करने के लिए लगाया जाता है।

insulator क्या है


 
इंसुलेटर के प्रकार (Types of Insulators)

(i) निगड़ या पाश विद्युतरोधक (Shakle Insulator)

(ii) किली या धुरा विद्युतरोधक (Pin or Spindle Insulator)

(iii) निलम्बन विद्युतरोधक (Suspension Insulator)

(iv) विकृति विद्युतरोधक (Strain Insulator)

 

(i)Shakle type Insulator :-

     shakle type insulator मुख्यतः 3 phase, 4- wire system या 440V तक की निम्न वोल्टेज वाली शिरोपरि लाइन में प्रयोग किये जाते है|

shakle insulator
 insulator लाइनो के प्रारम्भिक शिरे अंतिम सिरे  या लाइनो के किसी भी कोण पर विचलन की अवस्थाओ में सरलता से प्रयोग किये जा सकते है| insulator के उच्च बिंदु पर बने खाचो में  चालक तार को 14.5 s.w.g(standard wire gauge) वाले तार द्वारा बांध दिए जाते है

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(ii) Pin or Spindle type Insulator

     इस प्रकार के insulator मुख्यतः 11kv वाले वितरण लाइनो में प्रयोग किये जाते है इस प्रकार के insulator में विद्युत रोधी पदार्थ एक इस्पात की कील से संयोजित रहता है इस्पात के किल को पोल  के  crass arm पर संयोजित किया जाता है पिन इंसुलेटर के ऊपरी सिरे पर बने खाचो में चालक को 14 S.W.G. तार से बांध दिया जाता है

 

pin type insulator

पिन इंसुलेटर प्राय: पार्सिलीन का बना होता है। इस विद्युतरोधक के ऊपरी उभरे भाग में एक खाँचा (Groove) होता है।

 

(iii)Suspension type Insulator:-

   इस प्रकार के इंसुलेटर प्रायः 33kv से अधिक उच्च वोल्टेज वाली संचरण लाइनों में प्रयोग किए जाते हैं यह इंसुलेटर विद्युत रोधक disk को एक दूसरे से जोड़कर बनाई जाती है suspension टाइप इंसुलेटर में प्रत्येक disk का अधिकतम वोल्टेज 11 kv तक सीमित होता है |

Suspension type Insulator

Suspension type Insulator



  विद्युत रोधक डिस्क की संख्या  संचरण लाइन की क्षमता के अनुसार होती है के अनुसार होती है सस्पेंशन टाइप इंसुलेटर का प्रयोग संचरण लाइनों की एक सीधी दिशा में होने पर करते हैं

 

(iv)Strain or Tension Type Insulator

    strain इंसुलेटर संचरण लाइनों के  कोणीय विचलन लाइनों  के प्रारंभिक बिंदु लाइनों के अंतिम बिंदु, रेलवे लाइनों के  क्रॉसिंग, हाईवे क्रॉसिंग नदियों इत्यादि स्थानों पर प्रयोग किया जाता है क्योंकि इन स्थानों पर  संचरण लाइनों में तनाव अधिक होते हैं जिससे इन स्थानों पर अधिक   तनाव क्षमता वाले strain इंसुलेटर का प्रयोग किया जाता है इन स्थानों पर लाइनों में sag का मान निम्न होना चाहिए इसलिए निम्नतम sag  वाले स्थानों पर strain इंसुलेटर का प्रयोग किया जाता है |

Strain  Type Isulator
strain insulator

     तनाव को सहन करने हेतु  कई विद्युत रोधक disk एक दूसरे से  ऊर्ध्वाधर में संयोजित की जाती है  इन इंसुलेटर का प्रयोग  उच्च वोल्टेज वाली लाइनों, विद्युत  उपकेंद्रों के प्रारंभिक बिंदु   इत्यादि स्थानों पर किया जाता है

      hello दोस्तों इस पोस्ट में हमने आपको ''insulator क्या होता है  और कितने  प्रकार का होता है  ? |'' के बारे में संक्षिप्त  जानकारी दी है इसके अलावा और भी insulator होते है | अगर आपका  कोई सवाल या सुझाव है तो हमें  कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें, धन्यवाद

मंगलवार, अक्तूबर 13

लाइन सपोर्ट क्या है | &कितने प्रकार का होता है

LINE SUPPORT

   शिरोपरि लाइन के मुख्य अवयव (Main Components of Overhead Lines)

  सबसे पहले शिरोपरि line में प्रयुक्त अवयव के बारे में जान लेते है ,जिससे इस पोस्ट को समझाने में आसानी होगी

line support

1. लाइन चालक (Line Conductor)—वैद्युत शक्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए जिस युक्ति (Device) का प्रयोग करते हैं, उसे चालक कहते हैं।

2. आलम्ब (Support) शिरोपरि संचरण (Transmission) या वितरण (Distribution) में लाइन चालक को भूमि से ऊपर क्षैतिज रखने की युक्ति को आलम्ब (Support) कहते हैं।

Note: आलम्ब को शिरोपरि लाइन चालक के कार्यकारी वोल्टता (Working Voltage) तथा प्रयोग किये जाने वाले स्थान के अनुसार प्रयोग करते हैं।

3. Cross-arm—शिरोपरि संचरण तथा वितरण प्रणाली में आलम्ब से कसी हुई क्षैतिजिक भुजा जो ठोस विद्युतरोधक को आलम्ब से कसता है, cross arm कहते हैं।

4. विद्यतरोधक (Insulator)—वह पदार्थ जो विद्युत चालकीय पदार्थों के वैद्युत प्रवाह को रोकने तथा आलम्ब द्वारा चालक को अलग करने के लिए प्रयोग करते हैं।

 

आलम्बों का वर्गीकरण (Classification of Supports)

   शिरोपरि लाइन को चालक की माप, वोल्टता इत्यादि के कारण आलम्बों को निम्न भागों में बाँटा गया है।

Classification of Supports

Pole क्या होता है :-

   वे सपोर्ट जिनकी लम्बाई 15 मी तक होती है तथा उद्घर्षण(धरती में स्थापित करना )के समय इनका लगभग 1/6 भाग भूमि में दबाया जाता है pole कहलाते है | pole का उपयोग लगभग 33 kv तथा 75 मीटर लम्बे span(दो खम्भों की बीच की दुरी )तक ही सिमित है

 

काष्ठ खम्भे (Wood Poles)

  काष्ठ खम्भे प्रायः साल, चीड़, शीशम, बबूल आदि वृक्षों की सीधी गाँठ रहित गोल लकड़ी के लट्ठ प्रयोग में लाये जाते हैं। काष्ठ खम्भे प्राय: एकल तथा द्वितीय खम्भे या दो से अधिक एकल खम्भों की सहायता से बनते हैं। एकल खम्भे (I type) तथा दोहरे काष्ट खम्भे (A, H प्रारूप) के होते हैं। लकड़ी के खम्भों को बर्फ, ओला, धूप, वर्षा के कुप्रभावों से बचाने के लिए खम्भ के ऊपरी सिरे पर लोहे की टोपी लगाई जाती है।

काष्ठ खम्भे प्राय: दो प्रकार के होते हैं-

(i) एकल काष्ठ खम्भे (Single wood poles)


single wood pole


(ii) दोहरे काष्ठ खम्भा (Double wood pole)

यह 14 मीटर लम्बे तथा 45 से 50 मीटर लम्बे span वाले वितरण लाइनो में Double wood pole का प्रयोग किया जाता है 

Double wood pole

 

 

काष्ठ खम्भों के अनुप्रयोग (Applications of Wood Poles)

(i) काष्ठ खम्भों का प्रयोग ग्रामीण क्षेत्रों में निम्न वोल्टता की वितरण लाइनों में किया जाता है। इनका प्रयोग अस्थायी शिरोपरि में; जैसे-शादी-विवाह, नुमाइश, उत्सव आदि में विद्युतीकरण के समय। काष्ठ खम्भों का प्रयोग ज्यादातर जंगली क्षेत्रों में किया जाता है। क्योंकि जंगली क्षेत्रों में काष्ठ आसानी से प्राप्त हो जाता है।

(ii) न्यूनतम ऊँचाई (9 से 11 मी० तक) की एकल काष्ठ शिरोपरि वितरण लाइनों की निम्न वोल्टता (22KV लिए किया जाता है।

(iii) अधिक ऊँचाई (11 से 15 मीटर) के दोहरे काष्ठ खम्भों का प्रयोग उच्च वोल्टता (132kV) के लिए होता है।

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steel pole:-

   steel pole लगभग 15 मीटर तक लम्बे तथा 45 से 150 मीटर लम्बे span की निम्न एवं उच्च वोल्टेज लाइन के सपोर्ट के रूप में प्रयोग किये जाते है   

 

इस्पात खम्भों के प्ररूप (Types of Steel Poles)

इस्पात खम्भे, निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं-

(I) नलिकाकार इस्पाती खम्भे (Tubular steel pole)

(II) ठोस इस्पाती खम्भे (Solid steel pole)

(III) जालक इस्पाती खम्भे (Lattice steel pole)

 

नलिकाकार खम्भे (Steel Tubular Poles)S.T.P

  नलिकाकार खम्भे जस्तीकृत इस्पात की चद्दर से बने हुए खोखले नलिका आकार के खम्भे होते हैं। इन खम्भो का प्रयोग 440V की वितरण लाइन तथा 11kv से 33kv लाइनो में होता है। इनके तीनों भागों (आधार x मध्य x शिखर) की परिधियाँ लम्बाई के अनुसार घटते हुए तीन पद-क्रमों में होती है।

पृथ्वी के ऊपर ऊँचाई (Height) = 8 से 12 मीटर

दो खम्भों की बीच की दुरी (Maximum Span) = 100 मीटर

अधिकतम लाइन वोल्टता (Voltage) = 11 kV

अधिकतम टिकाऊपन (Durability) = 50 वर्ष

नलिकाकार खम्भों के गुणधर्म (Merits of Tubular Poles)

(i) अन्य इस्पात खम्भों की अपेक्षा भार में हल्के होते हैं अर्थात् खोखले नलिकाकार होने के कारण काष्ठ खम्भों की तरह भार में हल्के होते हैं।

(ii) काष्ठ खम्भों की अपेक्षा इनकी यान्त्रिक सामर्थ्य अधिक होती है।

(iii) काष्ठ खम्भों की अपेक्षा इनका जीवन काल अधिक होता है।

(iv) नमे लकड़ी के खम्भों की तरह लचक (Flexibility) नहीं होती है।

(v) ये देखने में सुन्दर लगते हैं।

(vi) इनकी प्रारम्भिक कीमत अन्य इस्पात की अपेक्षा कम होती है।

(vii) इनकी परिवहन कीमत अन्य इस्पात की अपेक्षा कम होती है।

नलिकाकार खम्भों के दोष (Demerits of Tubular Poles)

(i) अधिक तनाव व दाब के कारण ये झुक जाते हैं।

 (ii) ठोस इस्पात खम्भों की अपेक्षा इनकी यांत्रिक सामर्थ्य कम होती है।

(iii) इनका जीवन काल अन्य इस्पात खम्भों की अपेक्षा कम होता है।

उपयोग (Applications)—इनका प्रयोग निम्न वोल्टता की वितरण लाइनों में होता है। Note : आजकल इनका प्रयोग लकड़ी के खम्भों के स्थान पर होता है।

 

ठोस खम्भे (Solid Poles)

इनकी संरचना बेलित इस्पात धरन (Rolled steel beams) से निर्मित T-type, रेल खम्भे या I-type होती है।

जंग, संक्षारण आदि वायुमण्डलीय कुप्रभावों से सुरक्षित रखने के लिये इसके ऊपर तारकोल या पेन्ट कर दिया जाता

ठोस खम्भे भी निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं

I. Single solid steel pole

II. Double soild steel pole

एकहरे ठोस इस्पाती खम्भों की विशेषताएँ(Single solid steel pole)

Single solid steel pole


पृथ्वी के ऊपर की ऊँचाई (height) = 10 से 13.5 मीटर

अधिकतम लाइन वोल्टता (Voltage) = 33 kV

(i) अधिकतम पाट या विस्तृति = 150 मीटर

(ii) औसत टिकाऊपन = 80 वर्ष

दोहरे ठोस इस्पाती खम्भों की विशेषताएँ

पृथ्वी के ऊपर की ऊँचाई = 12 से 15 मीटर

अधिकतम लाइन वोल्टता = 66 kV

अधिकतम विस्तृति = 200 मीटर

औसत टिकाऊपन = 100 वर्ष

ठोस इस्पाती खम्भों के गुणधर्म

(i) इनकी अन्य खम्भों की अपेक्षा यांत्रिक सामर्थ्य (Mechanical strength) उच्च होती है। (ii) इनका जीवन काल (Life period) अधिक होता है। (iii) काष्ठ खम्भों की तरह इनमें दीमक लगने का भय नहीं रहता है। (iv) प्रयुक्त करने के पश्चात् इनका धात्विक पदार्थ व्यर्थ नहीं बल्कि पुनः बेचकर अच्छी कीमत प्राप्त की जाती है।

(v) काष्ठ खम्भों की अपेक्षा इनकी अनुरक्षण कीमत कम होती है।

दोष (Disadvantage)

(i) काष्ठ खम्भों एवं नलिकार इस्पात खम्भों की अपेक्षा भारी होते हैं। अर्थात् इनका भार एवं आयतन का अनुपात सर्वाधिक होता है।

(ii) इनकी परिवहन कीमत उच्च होती है।

(iii) इनकी प्रारम्भिक कीमत अधिक होती है। (iv) ये विद्युत के सुचालक होते हैं।

(v) ये देखने में सुन्दर नहीं लगते हैं।

उपयोग (Applications)—इनका प्रयोग मध्यम एवं उच्च वोल्टता की शिरोपरि लाइन में किया जाता है।

जालक इस्पाती खम्भे (Latice Steel Poles) __

   इनकी संरचना । आकृति की पत्तियों को रिवेटित या वेल्डित की जाती है। जंग, संक्षारण आदि वायुमण्डलीय कुप्रभावों को रोकने के लिए इन पर तारकोल या पेंट कर दिया जाता है।

Latice Steel Poles


पृथ्वी से ऊपर की ऊँचाई = 9 से 11 मीटर

अधिकतम लाइन वोल्टता = 11 kV

अधिकतम पाट या विस्तृति = 150 मीटर औसत टिकाऊपन = 50 वर्ष

इस्पाती खम्भों के गुणधर्म

(i) इनका भार ठोस इस्पाती खम्भों की अपेक्षा कम होता है।

(ii) ठोस खम्भों की अपेक्षा इनकी प्रारम्भिक कीमत कम होती है।

 

 

दोष (Demerits)

(i) इनका भार, काष्ठ एवं नलिकाकार खम्भों की अपेक्षा अधिक होता है।

(ii) काष्ठ खम्भों की अपेक्षा इनकी परिवहन कीमत अधिक होती है।

(iii) इनकी प्रारम्भिक कीमत काष्ठ एवं नलिकाकार खम्भों की अपेक्षा अधिक होती है। (iv) इनका प्रयोग निम्न वोल्टता (11 kV) तक की वितरण लाइनों में सम्भव है।

उपयोग- इनका प्रयोग निम्न वोल्टता की शिरोपरि लाइन में, शहरी एवं अल्प शहरी क्षेत्रों में होता है।

सीमेन्ट कंक्रीट खम्भे (Cement Concrete Pole)

  इस pole की मानक लम्बाई7.28 मीटर12.75 मीटर तक होती हके इस प्रकार के pole मुख्यतः ग्रामीण इलाकों में 3 फेज 4 वायर तथा 3 फेज की वितरण  तथा संचरण लाइनो में किया जाता है इस प्रकार के pole शिखर से लगभग 0.3 मीटर नीचे 190 kg से 400kg तक के भार को सहन कर सकते है

   खम्भों के निचे का भाग अधिक परिक्षेत्र वाला तथा शिखर का भाग कम परिक्षेत्र वाला होता है

सीमेन्ट कंक्रीट प्राय: दो प्रकार से प्रयोग किये जाते हैं

(i) प्राथमिक प्रतिबलित सीमेंट-कंक्रीट खम्भे (Pre-pressed Cement Concrete Poles) (ii) प्रबलित सीमेन्ट-कंक्रीट खम्भे (Re-inforced Cement Concrete Poles)

(I) प्राथमिक प्रतिबलित सीमेन्ट-कंक्रीट खम्भे (P.C.C Poles)-

   इस प्रकार के खम्भों का निर्माण उच्च दाब पर सीमेन्ट एवं कंक्रीट के द्वारा होता है। इनकी यांत्रिक सामर्थ्य कम होती है। इसलिए आजकल इनका प्रयोग नहीं किया जाता है। इसके स्थान पर प्रचलित सीमेंट कंक्रीट खम्भों का प्रयोग होता है।

(II) प्रबलित सीमेन्ट कंक्रीट खम्भे (R.C.C. Poles)-

  इन खम्भों का निर्माण इस्पात की छड़ों से निर्मित ढाँचों में सीमेन्ट-कंक्रीट के दलित कणों को प्रबलित कर (दाब के साथ) किया जाता है।

R.C.C. पोल को संचरना की दृष्टि से दो भागों में बाँटा गया है

(i) इस संरचना के खम्भे ऊपर से नीचे तक ठोस टेपरित वर्गाकार होते हैं।

(ii) इस प्रकार के खम्भों की संरचना आधार में आयताकार तथा शीर्ष वर्गाकार होता है। इसमें नीचे से ऊपर तक छिद्र होते हैं जिससे खम्भे के भार में कमी के साथ प्रदोष स्थिति में चढ़ने में सहायक होता है।

विशेषताए (Specifications):-

 पृथ्वी से ऊपर न्यूनतम ऊँचाई = 7 से 12 मीटर

उच्चतम लाइन वोल्टता = 11 kV

अधिकतम पाट या विस्तृति (span) = 100 वर्ष

औसत टिकाऊपन = 100 वर्ष

प्रबलित सीमेंट कंक्रीट खम्भों के गुणधर्म

(i) इनकी यांत्रिक सामर्थ्य (Mechanical strength) उच्च होती है।

(ii) ये विद्युत के कुचालक होते हैं।

(iii) ये रासायनिक प्रतिक्रिया से मुक्त होते हैं।

(iv) ये जंग, संक्षारण आदि वायुमण्डलीय कुप्रभावों से मुक्त होता है।

(v) इनका जीवन काल अधिक होता है। (vi) इनकी अनुरक्षण कीमत अति कम होती है। (vii) ये देखने में सुन्दर एवं सुहावने (Attractive) होते हैं।

(viii) लेपन द्वारा इनकी सुन्दरता को बढ़ाया जाता है।

(ix) प्रदोष(fault) की स्थिति पर चढ़ना आसान है।

(x) ये सम्पूर्ण रूप से मितव्ययी होते हैं।

(xi) ये वर्षा तथा पानी वाले स्थानों के लिए अधिक उपयुक्त होते हैं।

दोष (Demerits)

 (i) काष्ठ एवं नलिकाकार खम्भों की अपेक्षा इनका भार अधिक होता है।

(ii) परिवहन में इनकी टूट-फूट अधिक होती है।

(iii) इनकी परिवहन कीमत अधिक होती है।

(iv) प्राय: इनका निर्माण प्रतिष्ठापन स्थल पर ही आवश्यक होता है।

(v) इनका स्थापन अर्थात् उद्घर्षण अपेक्षाकृत कठिन होता है।

(vi) इनकी कीमत काष्ठ खम्भों की अपेक्षा अधिक होती है।

उपयोग (Utilization)-

 इनका प्रयोग निम्न वोल्टता (11 KV) तक की शिरोपरि वितरण लाइनों के लिए शहरी क्षेत्रों में अति अधिक होता है। इसके अतिरिक्त इनका प्रयोग घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों, महत्वपूर्ण राजमार्गों तथा सजावट की दृष्टिकोण से पार्को, उद्यानों आदि के विद्युतीकरण के लिए किया जाता है। इनका प्रयोग वर्षा तथा पानी वाले स्थानों के लिए अधिक उपयुक्त होता है, क्योंकि यह न ही गलते हैं और न ही इसमें जंग लगता है।

 

TOWER

 संचरण लाइनो में tower का  प्रयोग 66kv से अधिक वोल्टेज को संचरण करने के लिए किया जाता है

  tower का प्रयोग 150 से 300 मीटर लम्बे span की लाइनो में किया जाता है | इनकी  यांत्रिक क्षमता सर्वधिक होती है

 

(a) NARROW-BASE LATTICE TOWER(N.B.L.T):-

    N.B.L.T TOWER का प्रयोग 66kv से 220KV तक की संचरण लाइनो में किया जाता है इन टावरो की यांत्रिक सामर्थ तथा STRESS(खिचाव)अत्यधिक होती है N.B.L.T tower 220 मीटर तक के लम्बे span वाली संचरण लाइनो में किया जाता है

 

(b) BROAD-BASE LATTIC TOWER(B.B.L.T)

BBTL TOWER का प्रयोग 220KV से अधिक क्षमता वाली E.H.V LINE (EXTRA HIGH  VOLTAGE) के संचरण हेतु  किया जाता है इन टावरो की मानक लम्बाई 20 मीटर से 45 मीटर तक होती है  इन टावरो का उपयोग 200 मीटर अधिक लम्बे span वाली संचरण लाइनो में किया जाता है

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