गुरुवार, दिसंबर 31

shaded pole motor in hindi

SHADED POLE MOTOR

    Shaded Pole Motor :-यह मोटर single phase induction मोटर का ही एक अन्य रूप है। बिना shaded pole व्यवस्था के यह मोटर भी स्वत: प्रारम्भ नहीं हो सकता क्योकि तब यह भी एक सामान्य single phase induction motor ही होता है। shaded pole व्यवस्था कर दिए जाने पर इस मोटर में भी सूक्ष्म परिमाण का घूर्णी चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है जो, शून्य भार (बिना लोड के)पर मोटर को स्वत: प्रारम्भ करने के लिए पर्याप्त होता है।

shaded pole motor in hindi

 इस प्रकार की मोटर की संरचना, कार्यविधि, तथा उपयोग का विवरण निम्न प्रकार है 

संरचना Construction of shaded pole motor  :-

  यह मोटर shaded pole युक्त स्टेटर तथा पिंजर प्रारूपी रोटर से निर्मित होती है। इसके प्रत्येक पटलित ध्रुव core पर एक किनारे से लगभग 1/3 भाग पर एक खाँचा कटा होता है जो ध्रुव नाल या ध्रुव क्रोड के ऊपरी भाग को दो भागों में विभक्त करता है।

shaded pole motor की संरचना

 pole core के छोटे वाले हिस्से में ताँबे की एक मोटी पट्टी स्थित होती है, जो ताम्र छादन वलय (shading coil)  कहलाती है जैसा चित्र में प्रदर्शित है। ध्रुव पर स्थित इस खाँचे के उस ओर का भाग, जिस पर ताम्र shading coil स्थित होती है, ध्रुव का shaded part तथा शेष दूसरा भाग unshaded part कहलाता है।

 मोटर का मुख्य स्टेटर winding जो exciting winding कहलाता है, पूरे pole core पर होता है और इसका संयोजन ठीक वैसा ही होता है, जैसा अन्य single phase मोटरों के स्टेटर winding में होता है।

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कार्यविधि (Working Method of shaded pole motor):-

   जब मोटर की उत्तेजन कुण्डली(exciting winding) को single फेज ac स्रोत में जोड़ा जाता है तो मोटर के pole के दोनों ही भाग फ्लक्स उत्पन्न करते हैं चूकि shaded भाग में स्थित shaded coil पर विधुत वाहक बल प्रेरित होने के कारण उत्पन्न प्रेरण धारा से प्राप्त होने वाला फ्लक्स, लेंज के नियमानुसार मुख्य फलस्स को प्रभावित करता है और परिणामी फ्लक्स की स्थिति उसी के अनुसार बदलती है, जैसा चित्र में प्रदर्शित है।

shaded pole motor working

main field winding से प्रवाहित विद्युत धारा के क्षण A (SIN WAVE में) में बढ़ती विद्यत धारा के कारण shaded coil पर प्रेरित धारा विपरित फ्लक्स उत्पन्न करती है, जिससे परिणामी फ्लक्स की स्थिति चित्र (a) की भाँति ध्रुव के दाहिनी ओर होती हैं,

 क्षण B में विद्युत धारा परिवर्तन नगण्य होने के कारण shaded coil  का फ्लक्स नगण्य होता है तथा परिणामी क्षेत्र चित्र (b) की भाति pole के केन्द्र पर तथा क्षण C में घटती विद्युत धारा के कारण shaded coil द्वारा उत्पन्न फ्लक्स  main winding द्वारा उत्पन्न फ्लक्स की दिशा में होने के कारण परिणामी फ्लक्स को चित्र (c) की भाँति स्थिति प्रदान करता है।

इस प्रकार shaded pole व्यवस्था में परिणामी फ्लक्स, unshaded भाग से shaded भाग की ओर घूमने लगता है; अर्थात् यहाँ घूर्णी चुम्बकीय क्षेत्र की उत्पत्ति हो जाती है। इस घूर्णी फ्लक्स (rotating flux) से प्रभावित होकर मोटर को प्रारम्भन बलाघर्ण प्राप्त होता है।

उपयोग :-  shaded pole motor का प्रयोग छोटे पंखो ,विधुत घड़ियों,मापन यंत्रो में विशेष रूप से किया जाता है |

hello दोस्तों इस पोस्ट में हमने आपको '' shaded pole motor  in hindi  '' के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी है इसके अलावा अगर आपका कोई सवाल या सुझाव है तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें, धन्यवाद

 

रविवार, नवंबर 29

synchronous motor in hindi


SYNCHRONOUS MOTOR


इस पोस्ट में हम synchronous motor की संरचना ,कार्य सिधांत व उपयोय के बारे में जानेये

संरचना Construction of synchronous motor:-


ऑल्टरनेटर व सिंक्रोनस मोटर की संरचना लगभग एक समान होती है और सिंक्रोनस ऑल्टरनेटर को भी सिंक्रोनस मोटर की तरह से चलाया जा सकता है। उक्त दोनों ही प्रकार की मशीनों में केवल ऊर्जा परिवर्तन का ही विशेष अन्तर होता है, जो सम्बन्धित मशीन के कार्य-सिद्धान्त (working principle) पर निर्भर करता है।

synchronous motor in hindi



सिंक्रोनस मोटरों में अति उच्च गति वाले दो पोल(N व S ) वाले रोटर(cylindrical rotors) होता हैं, जिनके उत्तेजन(चुम्बकित करना, जिससे N व S पोल बने) हेतु, slip rings द्वारा dc वोल्टता प्रदान की जाती है


synchronous motor stater



सिंक्रोनस मोटरों के स्टेटर में 3 फेज सप्लाई दी जाती है

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सिंक्रोनस मोटर का  कार्य-सिद्धान्त Working Principle of synchronous motor
:-


चित्र में दो पोल, 3 फेज सिंक्रोनस मोटर प्रदर्शित की गई है। इसकी 3 फेज, दो पोल स्टेटर वाइंडिंग (stator winding) में जब थ्री फेज सप्लाई दी जाती है, तो स्टेटर से घूर्णी चुम्बकीय क्षेत्र (rotating magnetic field) उत्पन्न होता है, जो क्लॉक वाइज डाइरेक्शन में सिंक्रोनस गति से घूमता है।(N=120f/P)
Working Principle of synchronous motor




इस समय स्टेटर के परिणामी धनात्मक स्पंद से उत्तरी पोल N, तथा परिणामी ऋणात्मक स्पंद से दक्षिणी पोल S, उत्पन्न होता है। जब वाउण्ड रोटर में डी०सी० सप्लाई दी जाती है, तो रोटर में उत्तरी N तथा दक्षिणी S चुम्बकीय ध्रुवें उत्पन्न हो जाती हैं। रोटर की इन N व S चुम्बकीय ध्रुवों पर स्टेटर के घूर्णी चुम्बकीय क्षेत्र का प्रभाव पड़ता है।

स्टेटर और रोटर दोनों को सप्लाई 
क्यों  दी जाती है ?जानने के लिए पूरा पढना पड़ेगा

सिंक्रोनस मोटर के स्टार्ट करने का मूल सिधान्त:-


उर्युक्त चित्र में प्रदर्शित स्थिति के अनुसार:---

माना कि किसी क्षण पर स्टेटर पर उत्तरी पोल Ns जो स्थिति A पर है, रोटर के उत्तरी पोल N को विकसित करता है, तो रोटर एन्टि क्लॉक वाइज डाइरेक्शन में घूमने के लिए प्रवृत्त (tends to rotate) होता है; परन्तु जड़त्व (inertia) के कारण, रोटर शीघ्र नहीं घूम पाता। अर्थात् रोटर के घूमने में कुछ समय लगता है।

रोटर घूमने ही वाला था कि तब तक T/2 समय समाप्त हो जाता है; अत: अर्द्ध-चक्र (half cycle) के बाद, स्टेटर की चुम्बकीय पोल परिवर्तित हो जाती है। अर्थात् स्टेटर में उत्तरी पोल Ns के स्थान A पर पोल Ss सिन्क्रोनस स्पीड से घूमकर आ जाता है और स्टेटर तथा रोटर के ध्रुवों में आकर्षण बल कार्य करने लगता है, जो रोटर को क्लॉकवाइज डाइरेक्शन, अर्थात् विपरीत दिशा में घूमने के लिए प्रवृत्त (tends to rotate) करता है;

परन्तु जड़त्व के प्रभाव से रोटर पुन: शीघ्रता से घूमना आरम्भ नहीं कर पाता, तब तक पुनः अग्रिम स्थिति लागू हो जाती है। इस प्रकार मोटर के अन्दर उत्पन्न प्रत्यावर्ती बलाघूर्ण(घुमाने वाला बल alternating torque) के कारण, रोटर किसी भी दिशा में नहीं घूमता अपितु स्थिर स्थिति (standstill condition) में ही रहता है।
Working Principle of synchronous motor with image




यदि किसी बाह्य बल (external prime mover) द्वारा रोटर को तुल्यकालिक गति(N=120f/P) के निकट तक घुमा दिया जाए और इसके बाद रोटर में डी०सी० सप्लाई देकर N तथा S चुम्बकाय पोल उत्पन्न किए जाएं, तो स्टेटर तथा रोटर के विपरीत पोल परस्पर आकर्षित हो जाएगा और मोटर, तुल्यकाली गति पर चलने लगेगी। इसके बाद बाह्य बल(external prime mover) को पृथक किया जा सकता है।

synchronous motor उपयोग-

ये मोटरें उन फैक्ट्रियों में पावर फैक्टर बढ़ाने के लिए लगती हैं, जहाँ पर कई इंडक्शन मोटरें लगी रहती हैं, जिससे पावर फैक्टर कम रहता है। ये रबर मिलों, खानों और बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों में मैकेनिकल पावर के लिए भी लगती हैं।

सिंक्रोनस मोटर व इंडक्शन मोटर में क्या अंतर है ?

सिंक्रोनस मोटर में hunting  क्या होता है ?


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मंगलवार, नवंबर 10

भूमिगत केबिलें Underground Cables

 

भूमिगत केबिलें (Underground Cables)

       भूमिगत केबिलों का प्रयोग विद्युत शक्ति के संचरण व वितरण में होता है।

        ऐसे स्थान जहाँ शिरोपरि (Overhead) संचरण या वितरण पद्धति बाधित होता है वहाँ पर भूमिगत केबिलों का प्रयोग किया जाता है।

   वोल्टता, प्रयोग करने की आवश्यकताओं (Requirements) के आधार पर केबिल कई प्रकार के होते हैं।


  भूमिगत केबिलों का वर्गीकरण (Classification of Underground Cables)

  यांत्रिक संरचना व वोल्टता के आधार पर विभिन्न प्रकार के underground cables का प्रयोग किया जाता है।

  प्रायः केबिलों का वर्गीकरण निम्न रूप से किया गया है

(i) निम्न वोल्टता केबिलें (Low Voltage Cables)

(ii) उच्च वोल्टता केबिलें (High Voltage Cables)

(iii) सर्वोच्च वोल्टता केबिलें (Super Tension Cables)

(iv) अतिरिक्त उच्च वोल्टता केबिलें (Extra High Tension Cables)

(v) अतिरिक्त सर्वोच्च वोल्टता केबिलें (Extra Super Tension Cables)

 

(i) निम्न वोल्टता केबिलें:- इन केबिलों का प्रयोग अधिकतम 1 kV वोल्टता के लिये किया जाता है। इसके लिये किसी विशेष संरचना की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें विद्युतरोधकों के रूप में संसेचित कागज (Impregnated paper) वार्निश्ड काम्ब्रिक (Varnished cambric), वल्कनाइज्ड रबर (Vulcanized rubber) आदि।

 

(ii) उच्च वोल्टता केबिलें:- इन केबिलों का प्रयोग अधिकतम 11 kV वोल्टता के लिये किया जाता है। ये केबिलें प्रायः गोलाकार (Circular) अथवा अण्डाकार (Oval) होता है। इनमें Standard copper conductor संसेचित कागज (Impregnated paper) से बंधे (Wrapped) होते हैं। संसेचित कागज के ऊपर कवचन (Armouring) के लिये शीसे की परत (Lead sheathed) चढायी जाती है। यह हमारे केबिल के लिये एक सुरक्षित आवरण के रूप के कार्य करता है। अत: इन केबिलों की संरचना विशेष रूप से तैयार किया जाता है।

(iii) सर्वोच्च वोल्टता केबिलें- इन केबिलों का प्रयोग अधिकतम 33 kV वोल्टता के लिये किया जाता है। इनका प्रयोग उच्च संचरण लाइनों में प्रयोग किया जाता है। इसमें उच्च गुणवत्ता विद्युतरोधकों का प्रयोग किया जाता है।

 

(iv) अतिरिक्त उच्च वोल्टता केबिलें-इनका प्रयोग अधिकतम 66 kV तक की वोल्टता के लिये किया जाता है।इनमे high voltage bearing insulators की आवश्यकता होती है।

 

(v) अतिरिक्त सर्वोच्च वोल्टता केबिलें:- इन केबिलों का प्रयोग 132 kV या इससे अधिक voltage के लिये किया जाता है। ये केबिलें high transmission lines में प्रयोग की जाती हैं। इनकी संरचना कुछ विशेष तरह की होती है। इनमें ज्यादा insulating materials प्रयोग होने के कारण इनकी cost ज्यादा आती है।

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केबिलों की सामान्य संरचना (General Construction of Cables)

कम वोल्टता के लिए Single core तथा उच्च वोल्टता के लिए Multi core  केबल का प्रयोग किया जाता है | Multi core आपस में vulcanized bitumen अथवा ससोचत कागज (Impregnated paper) द्वारा बँधे रहते हैं। इनकी संरचना को चित्र में  समझाया गया है।

 

Underground Cables
underground cable

इनमें प्रमुख parts होते हैं जिन्हें निम्न रूप से समझाया गया है

(i) क्रोड (Core)- भूमिगत केबिलें प्राय: single core अथवा multi core types होती हैं। ये प्राय: Copper, Aluminium or Alloy (मिश्र धातु) के होते हैं। ये core सीधे अथवा लड़ीदार होते हैं।

(ii) संसेचित कागज (Impregnated Paper):- केबिल में सभी cores आपस में संसेचित कागज दारा बंधे रहते हैं। इसके लिये प्रायः अन्य पदार्थों जैसे vulcanized bitumen अथवा varnished combric का भी प्रयोग किया जाता है।

(iii) Metallic Sheath- नमी, गैस और विभिन्न प्रकार के क्षतिपूर्ति component से बचाने के लिये इसके ऊपर Aluminium Lead के मिश्रण (Alloy) को लपेटा जाता है। Metallic sheath का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह लचकदार होता है तथा यह उच्च संक्षारण रोधी (Corrosive Resistance) होते हैं। यह परत केबिल को earthing भी प्रदान करता है|

(iv) संस्तरण (Bedding)- Metallic sheath की सुरक्षा के लिये उसके ऊपर paper tape जो की Fibrous Jute, Cotton अथवा hessian tape का यौगिक (Compound) होता है लपेटा जाता है। Bedding की परत armouring की परत के साथ कोई क्रिया (Reaction) नहीं करती है। इसकी परत P.V.C. के रूप में नहीं प्रयोग की जा सकती है।

(v) कवचन (Armouring)- केबिल को यांत्रिक आघात या क्षति (Mechanical injury) से बचाने के लिये उसके bedding परत के ऊपर galvanized steel अथवा steel tape की एक परत का प्रयोग किया जाता है जिसे कि कवचन (Armouring) कहा जाता है। उच्च सुरक्षा (Higher protection) के लिये armouring की double परत चढ़ाया जाता है।

(vi) सेवा आवरण (Serving Layer)- Armoring की परत के ऊपर एक परत चढ़ायी जाती है जो कि fabric material को बनी होती है उसे सेवा आवरण (Serving layer) कहा जाता है। यह cable के सम्पूर्ण अवयवों को सुरक्षा प्रदान करता है। इससे cable देखने में charming and attractive लगते हैं।

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शनिवार, अक्तूबर 31

Vibration Damper in Transmission Line

Stock bridge damper

 

अगर आप जानना चाहते है कि Transmission Line में  stock bridge damper or Vibration Damper क्या होता है /क्यों लगाया जाता है? तो आज आप इस पोस्ट को पढ़ने के बाद अवश्य जान जायेगे

Vibration Damper in Transmission Line

  Vibration Damper

       शिरोपरि लाइनों के चालक वायु वेग से प्रभावित होकर क्षैतिजऔर  ऊर्ध्वाधर दिशा में दोलन करने लगते हैं तथा  वायु भवर के कारण इनके दोलन का आयाम बढ़ जाता है जिससे चालक अन्य चालकों के अधिक निकट आ जाता है फलस्वरुप चालकों के मध्य  स्पार्किंग के कारण शार्ट सर्किट उत्पन्न हो सकती है 

Vibration Damper

Vibration Damper


 

   वायु  वेग के अधिक होने  से   चालको में दोलन आयाम अधिक हो जाता है  जिससे चालक इंसुलेटर तथा  सपोर्टिंग टावर से टूट जाते हैं दोलन आयामों को कम अथवा रोकने के लिए  संचरण लाइनों में टावर से लगभग 2- 3 मीटर तक की दूरी पर vibration damper का प्रयोग किया जाता है

  

  30 से 50 cm लंबे  इस्पात के मोटे तारों के दोनो   सिरों पर  दो भार प्रयुक्त कर बनाए जाते हैं जिसके  मध्य भाग को एक clamp द्वारा शिरोपरि लाइनो  के चालको से जोड़ दिया जाता है   चालक के दोलन की अवस्था में   damper  में प्रयुक्त  भार  दोलित ऊर्जा को ग्रहण कर  चालक में दोलन को कम कर देता है

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